77 हजार करोड़ का बजट, नौजवानों के क्रोध को ठंडा करने से लेकर, @ 2025 के लिए नमो विजन पर चलने को तैयार धामी सरकार, परन्तु विकास की सरपट दौड़ के लिए रोड ब्लॉक।
77 हजार करोड़ का बजट, नौजवानों के क्रोध को ठंडा करने से लेकर, @ 2025 के लिए नमो विजन पर चलने को तैयार धामी सरकार, परन्तु विकास की सरपट दौड़ के लिए रोड ब्लॉक।
गैरसैंण/ उतराखंड का बजट 2023-24: राज्य के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य का 77407.08 करोड़ रु बजट पेश किया। भराड़ीसैंण में चल रहे विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन आज बुधवार को पेश हुए वार्षिक बजट के जरिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री के नमो विजन पर चलते हुए अगले दो सालों में उत्तराखंड कैसे देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में शुमार हो इसका खाका खींचने का प्रयास किया है।
विकास के रोडमैप और तमाम योजनाओं के बावजूद बढ़ता नॉन प्लान expenditure और आय के अपने संसाधनों का संकट इस वर्ष भी धामी सरकार की कठोर परीक्षा जरूर लेगा। यह वर्ष लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी बेहद अहम है क्योंकि इस वर्ष के आखिर में लोकसभा चुनाव की गूंज भी सुनाई दे सकती है। इस लिहाज से भी राज्य सरकार को जनता को खुश रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत की आवश्यकता पड़ने वाली है। बजट में इसका भी ख्याल रखा गया है।
भराड़ीसैंण स्थित विधान भवन में राज्य के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत 77407.84 करोड़ के वार्षिक बजट की मुख्य बातें
बजट में रोजगार, निवेश और टूरिज्म सेक्टर में दिखा धामी सरकार का खास फोकस
भर्ती भ्रष्टाचार और पेपर लीक कांड की सीबीआई जांच की मांग
का सामना कर रही धामी सरकार ने अपने वार्षिक बजट के जरिए बेरोजगार युवाओं को लुभाने की मंशा से नौजवानों को तवज्जो देने वाली कई घोषणाएं की हैं। मसलन
लोक सेवा आयोग की तैयारी करने के लिए प्रतियोगियों को 50 हजार रुपए मिलेंगे।
उत्तराखंड का युवा नौकरी करने वाल नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बनेगा इसी नमो मंत्र पर चलेगी धामी सरकार स्वरोजगार स्कीम के लिए 40 करोड़ का प्रावधान।
मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन के लिए 11 करोड़ रु का प्रावधान भर्ती भ्रष्टाचार पर प्रहार को सख्त नकल विरोधी कानून लाया किया गया।
एनसीसी कैडेट्स का भत्ता बढ़ाया गया 15 रुपये प्रति प्लेट से बढ़ाकर अब भत्ता 45 रुपये प्रति प्लेट करने का प्रावधान। बैकवर्ड तबके की छात्राओं के वजीफे के लिए एक करोड़ 90 लाख का प्रावधान।
बालिका साइकिल स्कीम के लिए 15 करोड़ का प्रावधान। उत्तराखंड @ 2025 देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बने उस दिशा में हो रहा काम।
बजट में वीरता पुरस्कार विजेताओं के लिए निशुल्क यात्रा का प्रावधान।
बजट 2023 में उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति को 10 करोड़ दिया जाएगा।
नवंबर में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय बढ़ाने का प्रावधान।
राज्य सरकार द्वारा जी20 आयोजन के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया जाएगा।
अनुसूचित जाति के छात्रों को किताबें मुफ्त मिलेंगी। जोशीमठ भू धंसाव क्षेत्र के लिए 1000 करोड़ का प्रावधान। भू स्वरोजगार, शिक्षा, कनेक्टिविटी, हेली कनेक्टिविटी, सौर ऊर्जा, यूथ, कृषि, किसान, टूरिज्म पर धामी सरकार के बजट का फोकस।
मैनपावर को स्किल्ड करने से लेकर अन्य में निवेश पर रहेगा फोकस
अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति के विकास के लिए नमो विजन पर चलेगी धामी सरकार। राज्य का हेल्थ सेक्टर होगा कोर फोकस सेक्टर। पूंजीगत व्यय में सार्वजनिक संपत्ति का संवर्धन एवं संरक्षण।
इकोलॉजी और इकोनॉमी में बनेगा संतुलन। निर्बाध और सुरक्षित संयोजकता।
बजट में दिखी धामी सरकार के सामने ये चुनौतियां
उत्तराखंड सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा नॉन प्लान मतलब
विकास योजनाओं के इतर वेतन, भत्तों, पेंशन और कर्ज की ब्याज देनदारियों में खर्च जी रहा है जिसके मुकाबले आमदनी नहीं बढ़ पा रही है।
इस प्रकार समझिए बजट को
मान लिया जाय अगर बजट राशि 100 रुपए है तो अब उसमें से एक चौथाई लगभग 25 रु (24.98 प्रतिशत) वेतन, भत्ते, मजदूरी आदि के ऊपर खर्च हो रहे हैं।
जबकि इसी 100 रु में से लगभग सवा 6 रु (6.24 प्रतिशत) सहायक अनुदान, अंशदान, राज सहायता आदि पर खर्च हो जाता है।
वहीं बजट के इन्हीं 100 रु में राज्य सरकार द्वारा अब तक लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने पर करीब 8 रु (7.96 प्रतिशत) खर्च हो जाता है।
जबकि इसी 100 रु बजट में से पेंशन / आनुतोषित मद में करीब 10 रु (9.81 प्रतिशत) खर्च हो जाते हैं। यानी 100 रु की बजट राशि में से 25 रु वेतन और 10 रु पेंशन पर यानी कुल 35 रु मतलब एक तिहाई से भी अधिक बजट इन्हीं में खर्च हो जाता है। जबकि अन्य खर्चों पर राज्य के बजट के 100 रुपए में से एक चौथाई से अधिक 25रु (25.23 प्रतिशत) खर्च हो जाते हैं।
अब रही वृहद निर्माण कार्यों अथवा लघु निर्माण कार्यों की तो बजट के 100 रु में से मात्र साढ़े 10 रु (10.56 प्रतिशत) ही आपके लिए सड़क और अस्पताल, स्कूल और बिजली-पानी से लेकर विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए बचते हैं।
जाहिर है बजट में से खर्च की यह तस्वीर राज्य के विकास और आर्थिक सेहत के लिए सुखद तो बिल्कुल नहीं कही जा सकती है। धामी सरकार के सामने असल चैलेंज यही है कि वह अपनी जेब हो चुके खर्चों के इस सुराख पर धीरे धीरे ही सही लगाम लगाने की कोशिश करे और राज्य के खजाने को भरने के लिए नए रास्ते खोजने का प्रयास करे। उत्कृष्ट उत्तराखंड @ 2025 के सपने को साकार करने के लिए इतने प्रयास तो कम से कम मुख्यमंत्री को करने ही पड़ेंगे।