गंगोलीहाट/ हिमालयन ग्राम विकास समिति व उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद देहरादून के द्वारा सी. एन. आर. राव एजुकेशनल फाउण्डेसन के सहयोग से तीन दिवसीय साइंस आउटरीच कार्यक्रम का उद्घाट्न भारत रत्न प्रो. सी. एन. आर. व प्रो. इन्दुमति राव ने बेंगलुरू से वर्चुअली किया। प्रो. राव ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विद्यार्थयों और शिक्षकों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें देते हुए कहाकि विज्ञान और तकनीक में आज अत्यधिक अनुसंधान हो रहे है। इसलिए इस अवसर का लाभ प्राप्त करने के लिए बच्चों को अपना लक्ष्य निर्धारित कर गहन अध्ययन और शोध कार्य करना होगा। इस अवसर पर प्रो. वल्दिया जी धर्मपत्नी श्रीमती इंदिरा यत्विया ने कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे विद्यार्थियों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों व प्रो. सी. एन. आर. राव व प्रो इन्दुमति राव का आभार व्यक्त करते हुए उनके मंगलमय जीवन की कामना की। इस अवसर पर सांइस आउटरीच कार्यक्रम के टीम लीडर प्रो. बी. डी. लखचौरा ने बताया कि प्रख्यात भू-विज्ञानी स्व. प्रो. खड्ग सिह वल्दिया ने साइंस आउटरीच कार्यक्रम की नीव 2009 में डाली 2011 से भारत रत्न प्रो. सी. एन. आर. राव ने जुड़कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में वित्तीय सहयोग प्रदान किया।
उन्होने बताया कि 665 विद्यालयों के 28240 विद्यार्थी व शिक्षक लाभन्वित हो चुके है। संस्था साइंस आउटरीच कार्यक्रम के साथ ही गणित व विज्ञान की शिक्षा को आगे बढ़ाने का भी कार्य कर रही है।जवाहरलाल नेहरू सेन्टर ऑफ एडवांस साइन्टफिक रिसर्च सेन्टर के वैज्ञानिक प्रों उदय रंगा ने प्लास्टिक के उत्पादन एवं निस्तारण के लिए सरकार को कठोर कानून तथा अभियान चलाने की आवश्यकता
आज के व्याख्यान में जवाहरलाल नेहरू सेन्टर ऑफ एडवांस साइन्टफिक रिसर्च सेन्टर के वैज्ञानिक प्रों उदय रंगा ने प्लास्टिक के इतिहास और उससे हो रहे पर्यावरणीय प्रदूषण पर कई उदाहरणों के साथ बताया कि प्लास्टिक की शुरूवात 1945 में प्रेटोलियम इंडस्ट्री से हुई लोग प्लास्टिक को उपयोग के बाद नदियों झीलो व समुन्दर में फेंक देते है जिससे मानव के साथ ही जीव जन्तुओं और जलीय जीवों को प्रदूषण के दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि हर साल एक करोड़ हाथियों के वजन से भी अधिक प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है जिसका समाधान कठोर कानूनों व व्यापक अभियान चलाकर करना चाहिए। उन्होंने प्लास्टिक के निस्तारण के तौर तरीकों की जानकारी देते हुए बताया कि वैज्ञानिकों ने एक नये वैक्टिरिया की खोज कर ली है जो कि प्लास्टिक को हजम कर जाता है। उन्होंने चार ऐसे फील्ड
बताये जहां पर अनुसंधान की काफी गुंजायश है जिसमें आर्टिफिसियल इंटलीजेन्ट, न्यू एन्जायम डिजायन,
कैमीकल प्रोसेसिंग व वैक्टीरिया के माध्यम से प्लास्टिक निरस्तारण किया जाना सम्भव है। प्रो. उदय रंगा ने
छात्रों का आहावान किया कि वे प्लास्टिक के उपयोग को कम से कम करने के प्रति सजग रहे।
आई आई सी. आर. मोहाली के वैज्ञानिक प्रो. राजीव कापड़ी ने रेण्डम वाक के अनुप्रयोगों और उनकी हमारे जीवन में उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। उन्होने भारतीय विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्थान के बारे में बताया कि 12 वी के बाद विद्यार्थी कैसे इंटीग्रेटेड मास्टर डिग्री के लिए प्रवेश परीक्षा में भाग ले सकते है। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष 25 मई 2023 तक फार्म प्रवेश परीक्षा हेतु फार्म भरा जा सकता है।
जवाहरलाल नेहरू सेन्टर ऑफ एडवांस साइन्टफिक रिसर्च सेन्टर के वैज्ञानिक प्रों विद्याधिराजा ने भौतिकी के प्रयोगो के माध्यम से छात्रों को सेंन्टर आफ मास कोणीय संवेग का संरक्षरण व चकण के नियमों की विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में देशभर के 12 वैज्ञानिकों और 20 विद्यालयों के 100 से अधिक छात्र कर रहे प्रतिभाग –
तीन दिवसीय साइंस आउटरीच कार्यक्रम में 20 विद्यालयों के 100 से अधिक विद्यार्थी व शिक्षक प्रतिभाग कर रहे है। कल प्रो. पी. एस. महर, प्रो. ईंश्वरमूर्ति, प्रो. प्रताप विशनोई, प्रों ए. एस. जीना, डा. जयश्री सनवाल, डा. अरूण पंचाकेसन व बी. एस. कोरंगा व्याख्यान देंगे।