बाघ के आतंक पर गरमाई सियासत, वन मंत्री सुबोध उनियाल व भीमताल विधायक रामसिंह कैड़ा का भद्दी गाली गलौज वाला आडियो वायरल, कांग्रेस ने की फॉरेंसिक जांच की मांग।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि देहरादून

 देहरादून/ उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में बाघ और गुलदारों का आकंत लगातार बढ़ता ही जा रहा है। राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार अब तक वन्यजीवों से सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बना पायी है दुसरी ओर हिंसक वन्यजीवों को पकड़ने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले दिनों भीमताल में बाघ के हमले से तीन महिलाओं की मौत के बाद राज्य के वन महकमे के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल लचर कार्यप्रणाली को लेकर अपने ही दल के विधायक की नाराजगी का शिकार हो गये।

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विधायक और कथित रूप से राज्य के वनमंत्री सुबोध उनियान के बीच हुई बातचीत का ऑडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें हाईकोर्ट के निर्देशों को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की जा रही है। इस बारे में जब वन मंत्री का पक्ष जाना गया तो उन्होंने साफ इनकार किया और कहा कि मेरी आवाज नहीं है और वह हाईकोर्ट का काफी सम्मान करते हैं। बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो भीमताल क्षेत्र में बाघ के हमले में तीसरी मौत के बाद इसमें नाराज लोगों से घिरे विधायक राम सिंह कैड़ा फोन का स्पीकर खोलकर सामने वाले से हालात का जिक्र कर रहे हैं।

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डीएफओ, और विभागीय कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए बाघ को आदमखोर घोषित करने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच हाईकोर्ट के मामले को स्वतः संज्ञान में लेने का जिक्र आता है। फोन पर दूसरी ओर बताए जा रहे वन मंत्री सुबोध सुबोध उनियाल कथित रूप से हाईकोर्ट और याचिकाकर्ता पर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते सुने जा रहे हैं। मंत्री ने इस वायरल वीडियो को फेक बताया है। इस बारे में विधायक राम सिंह कैड़ा का कहना है कि हम हाईकोर्ट का सम्मान करते हैं। हम जनता के साथ हैं। उस दिन मंत्री से रात में फोन पर बात हुई थी और उन्होंने क्षेत्र की समस्या को सुना जिसके लिए उनका आभार है।

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रही बात अमर्यादित शब्द की तो बाघ, तेंदुआ को कहा गया है। लोगों को आडियो बनाने की राजनीति करने के बजाय सहयोग करना चाहिए। वहीं अब विपक्षी दल कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने प्रकरण को लेकर भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि तो क्या भीमताल से भाजपा विधायक राम सिंह कैड़ा ने ऑडियो वायरल करके मंत्री सुबोध उनियाल की पीठ में छुरा घोंपा था।

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क्योंकि फोन पर बात तो दो ही लोग कर रहे थे अब मंत्री जी तो अपना ऑडियो वायरल करेंगे नहीं जिसमें वह उच्च न्यायालय को बहुत ही गंदी-गंदी गालियों से सुशोभित कर रहे हैं। फॉरेंसिक जांच होनी बंद हो गई होगी क्या देश में अब माननीय उच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

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