पीड़ित परिवार को वापस नहीं मिली कब्जाई जमीन तो जाऊंगा उच्च न्यायालय – दीपक करगेती

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि अल्मोड़ा

भतरौजखान/ बीते दिनों विधायक रानीखेत द्वारा जमीन कब्जाए जाने वाली शिकायत के बाद अब सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उपजिलाधिकारी रानीखेत के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर पीड़ित परिवार की जमीन वापस दिलवाने और राजस्व जमीन कब्जाए जाने की एसआईटी जांच करवाने की मांग का ज्ञापन प्रेषित किया है।

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दीपक ने अपने ज्ञापन में कहा है कि रानीखेत विधायक डा प्रमोद नैनवाल और विधायक के भाई सतीश नैनवाल द्वारा विगत दो वर्षों में हाल निवासी बेतालघाट गोविन्द गिरी पुत्र शेर गिरी की ग्राम सभा च्योनी,तोक खिला ,तहसील कोश्यांकुटोली,ब्लॉक बेतालघाट,जिला नैनीताल , स्थित पैतृक जमीन पर अवैध कटान कर, तार बाड़,सोलर फेंसिंग के माध्यम से कब्जा कर लिया है। पीड़ित के नाम से शीतकालीन फल पौँध आवंटन सत्र 2022-23 में किसी प्रकार से कोई आवंटन नहीं हुआ है(प्रति संगलग्न)।लेकिन उसके बाद भी विधायक रानीखेत और उसके भाई सतीश नैनवाल द्वारा बिना पीड़ित परिवार की अनुमति के उपरोक्त जमीन पर शीतकालीन सत्र में हुए सेब के पौधों को भी लगा दिया गया है।

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पीड़ित परिवार द्वारा उत्तराखंड राज्य महिला आयोग उत्तराखंड , पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड शासन,राजस्व सचिव उत्तराखंड शासन और जिलाधिकारी नैनीताल को भी अपनी पैतृक जमीन वापस दिलवाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रेषित किया है,लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार से सुनवाई होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं।उपरोक्त जबरन कब्जाई गई जमीन में अवैध तरीके से लगाए गए सेब के पौधों की जांच हेतु माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त आदेश के क्रम में जांच सीबीआई (सैंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) द्वारा की जा रही है।

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गोविंद गिरी अत्यन्त निर्धन हैं ।एक दुर्घटना के कारण पीड़ित के शरीर का एक हिस्सा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है जिसके कारण वे सक्षम स्तर पर अपनी बातों को रखने में भी असमर्थ हैं।दीपक ने यह भी लिखा है कि विधायक रानीखेत ,सरकार के विधायक होने के कारण राजस्व अधिकारी,तहसीलदार ,उपजिलाधिकारी तक के कर्मचारियों पर अपना दबाव बनाने में सक्षम हैं जिसके कारण तहसीलदार कोश्याकुटोली द्वारा पूर्व में अधोहस्ताक्षरी को भी गलत सूचना उपलब्ध कराई गई कि,उपरोक्त जमीन विधायक की है।

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महोदय उपरोक्त नक्शे व खाता खतौनी में स्पष्ट है कि उपरोक्त जमीन में गोविंद गिरी पुत्र शेर गिरी की 20 नाली 10 मुट्ठी जमीन(0.412 है०) तथा राजस्व की जमीन को जबरन तार बाड़,सोलर फेंसिंग के द्वारा घेर लिया गया है। यही नहीं पीड़ित की निजी भूमि में बिना अनुमति के जेसीबी चलाकर जमीन में उपस्थित 15 से अधिक चीड़ तथा बांज के पेड़ भी काट दिए जो कि अत्यंत गंभीर विषय है।और उनकी जमीन में सेब का बगीचा लगाने का कार्य करवाया जा रहा है।
पीड़ित परिवार द्वारा अनेकों बार विधायक डा प्रमोद नैनवाल से पैतृक भूमि को वापस करने ,अतिक्रमण हटाने हेतु अनुनय विनय भी किया गया है लेकिन विधायक की आड़ में इनके भाई सतीश नैनवाल ने पीड़ित गोविंद गिरी को ही जान से मारने की धमकी दे डाली जिसके बाद से पूरा परिवार अत्यंत भयभीत है।

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दीपक ने यह भी उल्लेख किया है कि विधायक का भाई आए दिन लोगों को धमकाने का ,पीटने का कार्य करते रहता है,जिसकी एक प्राथमिकी हाल ही में थाना छेत्र भतरोजखान में दर्ज हुई है। एक रिट संख्या WPMS NO 1181 of 2024 के माध्यम से आबकारी विभाग द्वारा आवंटित शराब की दुकान में भी इनके द्वारा अतिक्रमण का वाद मा उच्च न्यायालय में जा चुका है। दीपक ने बताया कि पीड़ित गोविंद गिरी ने मुझसे विनती करते हुए कहा कि उनके पिता लोग तीन भाई गोपाल गिरि, गंगा गिरी और गोविंद गिरी थे जिनके पास खिला,ग्राम सभा चयूनी में कुल (o.824है०) 41 नाली से अधिक नाप जमीन थी।युवावस्था में एक भाई गंगा गिरी की मृत्यु के बाद नाप जमीन दो भाइयों एक पीड़ित परिवार के ताऊ गोपाल गिरि और गोविंद गिरी के नाम दर्ज हो गई।

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ताऊ जी गोपाल गिरी द्वारा अपने हक से आधी जमीन प्रमोद नैनवाल और उसके भाई को बेच दी ।लेकिन पीड़ित परिवार ने अपने हक से कभी भी जमीन नहीं बेची गई लेकिन विधायक नैनवाल द्वारा इनकी आधी जमीन पर भी पिछले दो वर्ष में जबरन कब्जा जमा कर उसे तार बाड़,सोलर फेंसिंग से चारों ओर से बंद कर दिया। बिना छटाई वाली हमारे दो भाईयों की जमीन पर सड़क से लेकर खेतों तक चारों ओर से बंद कर जेसीबी से कटान करवा दिया गया।पीड़ित परिवार को जान माल का खतरा भी बना हुआ है।जिस कारण उपरोक्त पीड़ित परिवार को न्याय दिलवाने हेतु समस्त शिकायती प्रकरणों और साक्ष्यों के आधार पर एसआईटी जांच करवाने हेतु ज्ञापन प्रेषित किया है जिससे की राज्य में मुख्यमंत्री द्वारा स्थापित न्याय व्यवस्था पर एक निर्धन परिवार को भी भरोसा हो सके।अन्यथा की स्थित में दीपक ने कहा है कि वह मा उच्च न्यायालय में जाने को बाध्य होगा।

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