लोहाघाट/ चंपावत को मॉडल जिला बनाने में नई सोच के साथ कार्य करने की भी आवश्यकता है। हरेला जैसे पर्व में जिले के जिन विद्यालयों में भूमि उपलब्ध है, वहां वन विभाग बच्चों को पौध उपलब्ध कराकर उनकी ऐसी प्रतियोगिता आयोजित की जाए, जिसमें बच्चों के कार्यों की एक साल बाद समीक्षा करने के बाद उस विद्यालय को पुरस्कृत किया जाए।
इस कार्य के लिए वन विभाग को ऐसी रनिंग शील्ड संचालित की जानी चाहिए, जो जनपद में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले विद्यालयों को मिले। इस विद्यालय के बच्चों को जिला प्रशासन व वन विभाग के द्वारा बाल वृक्ष मित्र होने का भी प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। रनिंग शील्ड छः माह बाद वन विभाग को लौटानी होगी। इससे विद्यालय परिसर को पेड़ों से आच्छादित करने में मदद मिल सकती है।
जिला प्रशासन को विभिन्न स्थानों में ऐसी भूमि भी उपलब्ध करानी होगी, जहां स्मृति बन लगाए जाएं। लोग अपने-माता पिता, प्रियजन एवं बच्चों को स्वयं अपनी यादों को तरोताजा रखने के लिए पौध लगा सकें। इन पौधों के प्रति उनका भावनात्मक लगाव होने के कारण उनकी देखरेख भी कर सकेंगे। उधर हरेला पर्व पर जितने भी हमारे पेयजल स्रोत हैं, वहां उशिष्ट एवं अन्य पानी के पौधों का रोपण किया जाना चाहिए। इससे आने वाले समय में जलस्तर बना रहेगा।