चंपावत/ उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में सरकार और उनके नुमाइंदों ने कितना विकास किया है इसका जवाब वो लोग ही दे सकते हैं जो मरीजों को कंधों पर लादकर कई किलोमीटर पैदल दूरी नापते हैं। ऐसी ही एक तस्वीरें चंपावत जिले के लोहाघाट क्षेत्र से सामने आई है। यहां ग्रामीण गर्भवती को प्रसव के लिए 8 किलोमीटर दूर कुर्सी (डोली) में बैठाकर सड़क तक लाए। इसके बाद एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही महिला ने एंबुलेंस में बच्चे को जन्म दे दिया।
पूरा मामला लोहाघाट के बाराकोट ब्लॉक के दूरस्थ सील गांव का है। जहां सील गांव के गोविंद सिंह की पत्नी कमला देवी को प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद परिजनों ने ग्रामीणों को इकट्ठा किया और कमला देवी को अस्पताल पहुंचाने का फैसला लिया। ऐसे में कमला देवी को डोली पर बैठाकर ग्रामीण अस्पताल की तरफ निकल पड़े। 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और खतरनाक रास्तों से होकर महिला को सड़क मार्ग तक पहुंचाया गया। जहां से उसे एंबुलेंस में बिठाया गया। गर्भवती महिला के साथ आई आशा वर्कर निर्मला ने बताया पातल से गर्भवती महिला को 108 के जरिए लोहाघाट उप जिला अस्पताल पहुंचाया गया।
इसी बीच रास्ते में कमला देवी की प्रसव पीड़ा बढ़ गई। जिस कारण जंगल में एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवानी पड़ी। जहां महिला ने एक बेटी को जन्म दिया है। जिसके बाद महिला को लोहाघाट उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के 3 साल बाद भी सील गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई जो बड़े दुर्भाग्य की बात है।
जिसका खामियाजा ग्रामीणों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है। सड़क सुविधा न होने से इलाज समय पर ना मिल पाने के कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। ग्रामीणों ने गांव के मार्ग को जल्द ठीक करने की सरकार से गुहार लगाई है।