उत्तराखंड में आपदा विभाग ने कर डाला बड़ा कारनामा, 7 कर्मचारियों को बांटा ग़लत वेतन, 2 से की रिकवरी, 5 को सिर्फ डांट कर छोड़ दिए एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए।
उत्तराखंड में आपदा विभाग ने कर डाला बड़ा कारनामा, 7 कर्मचारियों को बांटा ग़लत वेतन, 2 से की रिकवरी, 5 को सिर्फ डांट कर छोड़ दिए एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए।
देहरादून/ आपदा प्रबंधन विभाग ने गजब का कारनामा किया है 07 कार्मिकों को दे रहे गलत और अधिक वेतन परन्तु वेतन विसंगति की मौखिक शिकायत पर कर डाली केवल 2 कार्मिकों से रिकवरी, बाकी 5 कार्मिकों से 1,35,00000 (एक करोड़ पैंतीस लाख) रुपय की रिकवरी ना करने के लिये आपदा विभाग और वित्त विभाग के अधिकारी दिखा रहे कृपादृष्टि।अब आपदा प्रबन्धन ने 07 कार्मिकों को गलत और अनुमन्यता से अधिक वेतन दिया जा रहा है परन्तु आपदा विभाग के अधिकारियों ने वेतन विसंगति की मौखिक शिकायत प्राप्त होने पर 7 में से मात्र 2 कार्मिकों से तत्काल रिकवरी कर दी और शेष 5 कार्मिकों पर मेहरबानी करते हुए उनसे अधिक दिए गए वेतन अनुमानित 1,35,00000 एक करोड़ पैंतीस लाख की रिकवरी न करने के लिए उच्च स्तर पर पत्रावली चला दी है। उत्तराखंड में गजब का भाई भतीजावाद और पक्षपात चल रहा है।
आपदा विभाग के अधिकारियो द्वारा खुलेआम वित्त विभाग और कार्मिक विभाग के शासनादेशों का उलंघन किया गया है। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व राज्य प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने मुख्य सचिव, सचिव वित्त, सचिव आपदा प्रबंधन, अपर सचिव आपदा प्रबंधन और वित्त नियंत्रक को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र में जुलाई 2017 में 7 कार्मिकों को सातवें वेतनमान का लाभ देते हुए उनके वेतनमान अनुमन्यता से अधिक निर्धारित कर दिये गये थे।तत्कालीन वित्त अधिकारी के० एन० पाण्डे और कार्यकारी अकाउंटेंट मोहन सिंह राठौर के द्वारा सातवें वेतनमान के भत्तों का त्रुटिपूर्ण और अनुमन्यता से अधिक का निर्धारण किया गया जिस कारण सभी 7 कार्मिकों का अधिक वेतन निर्गत हुआ है परन्तु आपदा प्रबंधन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आहरण वितरण अधिकारी सविन बंसल, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओबैदुल्लाह अंसारी और वित्त नियंत्रक सुश्री मामूर जहा ने मौखिक शिकायत को आधार बनाकर 7 कार्मिकों में से मात्र 2 कार्मिकों पीयूष रौतेला और राहुल जुगरान से जनवरी 2023 में अधिक निर्गत हुए वेतन की रिकवरी करके पक्षपातपूर्ण और गैरविधिक कार्य किया है।
आरोप है कि 7 कार्मिकों को विसंगतिपूर्ण और अधिक वेतन निर्गत हुआ है इसलिये इन सभी 7 कार्मिकों से समान रूप से रिकवरी की कार्यवाही की जानी चाहिये थी इसलिये बाकी 5 कार्मिकों मोहन सिंह राठौर, गोविन्द सिंह रौतेला, भूपेंद्र भैसोडा, घनश्याम टम्टा और के०एन० पाण्डे से भी तत्काल उनको निर्गत हुए अधिक वेतन 1,35,00000 (एक करोड़ पैंतीस लाख) रुपए की रिकवरी की जाये। जुन ने अपने पत्र में मांग की है कि पूर्व और वर्तमान आहरण वितरण अधिकारी और वित्त नियंत्रक से स्पष्टीकरण लिया जाये कि
1- मौखिक शिकायत पर तत्काल रिकवरी की कार्यवाही की गयी है तो फिर जुगरान के द्वारा 12 जून 2023 को की गई लिखित शिकायत पर रिकवरी की कार्यवाही करने में आहरण वितरण अधिकारी ओबैदुल्लाह अंसारी और वित्त नियंत्रक तंजीम अली को क्या आपत्ति है ?
2- मौखिक शिकायत प्राप्त होने पर 7 कार्मिकों के बजाय केवल 2 कार्मिकों से अधिक निर्गत हुए वेतन की रिकवरी की कार्यवाही क्यों की गयी ?
3- केवल मौखिक शिकायत प्राप्त होने पर अधिकारीयों द्वारा पक्षपातपूर्ण जाच 2 कार्मिकों के वेतन पर रोक उनके वेतन को पुनः फिक्स और रिकवरी की कार्यवाही क्यों और किस नियम के अनुसार की गयी ? शेष 3 कार्मिकों के वेतन का तत्काल पुनः फिक्सेशन क्यों नहीं किया गया ?
4- आहरण वितरण अधिकारी और वित्त नियंत्रक ने मौखिक शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता से लिखित शिकायत और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिये क्यों नहीं कहा ?
5- इनके द्वारा 2 कार्मिकों के वेतन पर तत्काल रोक लगाई गयी लेकिन अनुमन्यता से अधिक वेतन प्राप्त कर रहे शेष 3 कार्मिकों मोहन सिंह राठौर, गोविन्द सिंह रौतेला और श्री घनश्याम टम्टा के वेतन पर तत्काल रोक क्यों नहीं लगायी गयी ?
6- मेरे द्वारा 12 जून 2023 को लिखित शिकायत और साक्ष्य उपलब्ध करवा दिये जाने के
बावजूद भी इन 3 कार्मिकों को विसंगतिपूर्ण और अधिक वेतन किस नियम के आधार पर हर महीने निर्गत किया जा रहा है ?
7- पदत्याग कर चुके कार्मिक भूपेंद्र भैसोडा और सेवानिवृत हुए कार्मिक के० एन० पाण्डे को निर्गत हुए अधिक वेतन और उनसे रिकवरी की जाने वाली धनराशी का आगणन अभी तक क्यों नहीं किया गया ?
8- आहरण वितरण अधिकारी ओबैदुल्लाह अंसारी और वर्तमान वित्त नियंत्रक तंजीम अली और पूर्व वित्त नियंत्रक मामूर जहा ने शेष 5 कार्मिकों को किस नियम को आधार और सन्दर्भ बनाकर रिकवरी से राहत प्रदान की है ?
9- सविन बंसल, ओबैदुल्लाह अंसारी, मामूर जहाँ और तंजीम अली ने वित्त विभाग के द्वारा दिनांक 28 नवम्बर 2017 को वेतन विसंगति से सम्बंधित जारी किये गये शासनादेश संख्या 161/XXVII (7) / 40 (IX)/2011 में उल्लेखित निर्देशों का अनुपालन क्यों नहीं किया ? इन्होंने इस शासनादेश के विपरीत कार्य क्यों किया ?
जुगरान ने अपने पत्र में लिखा है कि उनके द्वारा साक्ष्य सहित की गयी लिखित शिकायत पर कार्यवाही करते हुए यदि अन्य 5 कार्मिकों मोहन सिंह राठौर, गोविन्द सिंह रौतेला, भूपेंद्र भैसोडा, घनश्याम टम्टा और के० एन० पाण्डे से तत्काल रिकवरी नहीं की जाती है तो वे पक्षपातपूर्ण और गैरविधिक की गयी रिकवरी की इस कार्यवाही को माननीय उच्च न्यायालय में जल्द ही चुनौती देंगे।
इन सभी आरोपों से एक बात तो स्पष्ट है कि आपदा प्रबंधन विभाग में हुए वेतन घोटाले के इतने गंभीर प्रकरण पर 5 माह पूर्व साक्ष्यों सहित शिकायत होने के बावजूद भी आपदा विभाग और वित्त विभाग के द्वारा 5 कार्मिकों से 1,35,00000 (एक करोड़ पैंतीस लाख) रुपए की रिकवरी की कार्यवाही ना करना दोषी अधिकारियों को संरक्षण प्रदान करके उनपर जाच की कार्यवाही न करने से ऐसे कई यक्ष प्रश्न खड़े हो रहे हैं जिनका माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तर देना शायद आपदा प्रबंधन विभाग वित्त विभाग और शासन के लिये संभव ही ना हो पाये जिससे शासन के कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।