बड़ी खबर, इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, वन विभाग व रेलवे को दिए सख्त निर्देश मांगी जांच रिपोर्ट।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि नैनीताल

नैनीताल/ उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में भू माफियाओं द्वारा रेलवे, वन विभाग और राजस्व भूमि को सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प पेपर में बेचे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, वन विभाग और रेलवे को निर्देश दिए हैं कि दस दिन के अंदर मामले की जाँच करके अपनी रिपोर्ट करें।कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 22 दिसम्बर को तय की है। पूर्व में न्यायालय ने याचिकाकर्ता से इस सम्बन्ध में भूमि बेचे जाने के सबूत दिखाने को कहा था जिसे आज न्यायालय को दिखाया गया।

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साथ मे याचिकाकर्ता ने यह भी प्रार्थना की है कि उनको जानमाल का खतरा हो सकता है लिहाजा उन्हें सुरक्षा दिलाई जाय। इस पर न्यायालय ने मौखिक तौर पर सम्बंधित एस.एच.ओ. को निर्देश दिए हैं कि उन्हें किसी तरह का खतरा उप्तन्न न हो क्योंकि याची इस काम को जनहित में कर रहा है। मामले के मुताबिक हल्द्वानी निवासी पूर्व पार्षद हितेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार गौजाजाली स्थित वन विभाग और राजस्व की भूमि को भू माफियाओं ने सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प पेपर में बेच दिया है। जिन लोगो को यह भूमि बेची गयी वो लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं। कहा गया कि ये लोग रोजगार के लिए यहा आये थे और कुछ ही समय बाद सी.एस.सी.सेंटर से इनके वोटर आई.डी. तक बन गए।

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 जब इसकी शिकायत प्रशासन, मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान से मारने की धमकी तक भू माफियाओं ने दे दी। जनहित याचिका में कहा गया की राज्य सरकार ने वोट बैंक के चक्कर में इनके लिए लाइट, पानी, स्कूल और हॉस्पिटल के लिए करोड़ो रूपये खर्च किये हैं जिसका भार स्थायी लोगो पर पड़ रहा है। जिसकी वजह से स्थायी लोगो को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। प्रशासन ने सरकारी धन का दुरपयोग किया है।
जनहित याचिका में न्यायालय से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाए और इनके सभी दस्तावेजों की जांच की जाए।

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