चौखुटिया/ रविवार 11 मई से शुरू हुए सल्टिया सोमनाथ मेले में एक सप्ताह से चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शनिवार को विधिवत समापन हुआ। समापन पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ पुरस्कार वितरण हुआ। मेला समिति ने सहयोग के लिए सभी का आभार जताया।व्यापारिक मेला 20 मई तक जारी रहेगा।
मासी में एक सप्ताह तक चले ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व व्यापारिक मेले का समापन बतौर मुख्य अतिथि मेला समिति अध्यक्ष गोपाल मासीवाल ने किया।
भले ही दूर-दूर से पहुंचे व्यवसाई कुछ दिन व्यापार के लिए यहां पर रुकेंगे। मेला समिति की ओर से शनिवार को मेले का समापन किया गया। समापन पर विभिन्न कलाकारों, स्कूली बच्चों, भ्राति सेवा संस्था की महिलाओं,सामाजिक कार्यकर्ताओं,मेला समिति के सहयोगियों,प्रतिनिधियों को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। समापन अवसर पर जै नन्दा लोक कला केंद्र अल्मोड़ा की टीम ने नंदा सुनंदा तू दैण है जय, हीरा समदणी के साथ नंदा राज जात यात्रा, कुमाऊनी लोकगीत,लोकनृत्य की प्रस्तुति ने मेलार्थियों की खूब तालिया बटोरी।
तथा विभिन्न स्कूली बच्चों, स्थानीय कलाकारों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर मेलार्थियों का भरपूर मनोरंजन किया। मेले में अभी भी खरीदारों की भीड़ लगी हुई है। बाहरी व्यापारी 20 मई मेला स्थल पर रहंगे।
समापन पर संबोधित करते हुए मेला समिति अध्यक्ष गोपाल मासीवाल ने मेला समिति के सभी पदाधिकारियों, दोनों आलों से जुड़े प्रतिनिधियों का पूरे मेले में सहयोग करने के लिए धन्यवाद किया। तथा भविष्य में मेले को और भव्य बनाने के लिए सभी से सहयोग की अपील की।
समापन पर संरक्षक संतोष मासीवाल,नंद किशोर,कृष्णा राठौर, शंकर बिष्ट, सुभाष बिष्ट, महेश लाल वर्मा,दीपा मासीवाल,प्रभा राठौर, गिरधर बिष्ट,गिरीश आर्या,कपिल पाठक,विनोद पाठक, पवन मासीवाल, भगवत रावत, हेमंत जोशी,गजेंद्र बिष्ट, विपिन शर्मा, शंकर रावत, नरेंद्र भंडारी, विजय गोरखा, हरेंद्र नायक, चंद्र प्रकाश फुलोरिया, हरीश मासीवाल, त्रिलोक मासीवाल, शंकर जोशी,नाथू सिंह,सूरज गौड, चन्दन चौहान, हेम गौड,शंकर रावत,भगवत रावत आदि रहे।
बोले थोकदार
1- हरीश मासीवाल थोकदार मांसीवाल आज भी मेला हमारी पारंपरिक पहचान के साथ एक व्यापारी प्रतिष्ठा रखता है। हमारी संस्कृति व परंपरा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।साथ ही मेले से जुड़े गांवों के शहरों में रहने वाली हमारी नई पीढ़ी मेले के दौरान घर पहुंचती है। जो की आपसी मेलजोल का प्रतीक है। दोनों आलों की परम्परा आपसी मिलन का संदेश देती है।
2- त्रिलोक बिष्ट थोकदार कनौणी आल सांस्कृतिक ,धार्मिकता व व्यापारिकता का पहचान रखने वाला यह मेला तीन जिलों के आपसी भाईचारे का संदेश देता है। मासी क्षेत्र की पहचान इसी मेल से आगे बढ़ी है। मेले से पूर्व घरों की साफ-सफाई ,रंग- रोगन नए कपड़े बनाकर आज भी मेला एक त्योहार के रूप में क्षेत्र के लिए खुशी लेकर आता है।