अब उत्तराखंड में वनों में आग लगाने वालों की नहीं है खैर, जाना पड़ेगा जेल मुख्यमंत्री।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि देहरादून

 देहरादून/ उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने में वन विभाग के पसीने छूट रहे हैं। उत्तराखंड में वनाग्नि के मामले कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं। वनाग्नि पर काबू पाने के लिए प्रशासन और वन विभाग की तैयारियां और दावे धरातल पर फेल नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि अब खुद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं पर बैठक की और जंगलों में आग लगाने वालों को जेल में डालने के निर्देश दिए।

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मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी व एसपी को जंगलों में आग लगाने वालों को जेल में डालने का निर्देश दिए हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि अधिकारियों से मिले इनपुट से पता चला है कि आग लगने की ज्यादातर घटनाएं मानव निर्मित हैं और कई जगहों पर असामाजिक तत्व भी जंगलों में आग लगाने में सक्रिय हैं। डीजीपी अभिनव कुमार की ओर से भी कहा गया है कि आग लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जो लोग आग पर काबू पाने या बुझाने के लिए आगे आ रहे हैं उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

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उत्तराखंड में वनाग्नि की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा रहा कि 22 अप्रैल को राज्य के अंदर जंगलों में आग लगने के रिकॉर्ड 52 मामले दर्ज किए हैं जिसमें 14 घटनाएं गढ़वाल और 35 घटनाएं कुमाऊं मंडल में दर्ज की गई हैं। उत्तराखंड वन विभाग के अनुसार इन 52 घटनाओं में करीब 76.65 हेक्टेय A जंगल जला है। जिससे लगभग 165.300 रुपए का नुकसान हुआ है। बीते 5 महीने की बात की जाए तो राज्य के अंदर वनाग्नि के 431 मामले सामने आए हैं जिसमें 11 लाख रुपए से ज्यादा की हानि हुई है। बता दें हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन घोषित किया जाता है।

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इस बीच जंगलों में आग लगने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। वन विभाग और प्रशासन हर साल वनाग्नि की घटनाओं पर काबू करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट तैयार करता है परन्तु धरातल पर उनका बहुत कम असर दिखता है।

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