बागेश्वर >> दुःखद, नहीं रहे आजाद हिन्द फौज के सिपाही राम सिंह चौहान, 102 वर्ष की उम्र में ली आख़री सांस।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि बागेश्वर

बागेश्वर/ जनपद के आजाद हिंद फौज के एकमात्र स्वाधीनता सेनानी 102 वर्षीय राम सिंह चौहान पिछले कुछ वक्त से बीमार थे। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उनका इलाज चल रहा था। आज सुबह तीन बजे उन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली।

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बागेश्वर जिले के गरुड़ विकास खंड के पासदेव वज्यूला निवासी स्वाधीनता सेनानी चौहान की तबीयत कुछ दिनों पहले अचानक खराब हो गई थी। परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर गए थे। उन्हें बुखार के साथ ही कफ की शिकायत थी। सेनानी चौहान के पुत्र गिरीश चौहान ने कहा कि वह भोजन नहीं कर पा रहे थे। जिला अस्पताल के चिकित्सक लगातार सेनानी की निगरानी कर रहे हैं। उनके जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद थी। उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा था। साथ ही सेनानी के परिजन भी अस्पताल में उनकी देखरेख कर रहे थे।

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पासदेव वज्यूला निवासी चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं। वे गढ़वाल राइफल में तैनाती के दौरान ही सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया था। चौहान के वीरता के इलाके के सभी लोग कायल थे। सेनानी के बीमार होने की सूचना पर कई लोगों ने अस्पताल जाकर उनकी सेहत की जानकारी थी। लोगों ने सेनानी के जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी। परन्तु आज सुबह तीन बजे उन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली।

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22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान का खून वीरता से भरा हुआ था। पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स में पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे। इनके पिता ने पहला विश्व युद्ध लड़ा था। वही राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे वे गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। जब देश में आजादी का आंदोलन चल रहा था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित राम सिंह चौहान वर्ष 1942 में अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए।

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उन्होंने नेताजी के साथ मलाया, सिंगापुर, बर्मा के साथ ही अनेक जगहों पर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। नेताजी के साथ मिलकर अंग्रेजों से दो-दो हाथ किए। अंग्रेजों की जेल में रहे, यातनाएं सहीं परन्तु अंग्रेजों के आगे झुके नहीं देश आजाद हुआ। वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेनानी राम सिंह को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया। राम सिंह पूरी तरह 101 साल तक स्वस्थ रहे या यू कहे की वो कभी अस्वस्थ रहे ही नही हुए वे अपने सारे काम खुद करते रहे है। हालाकि वह कान कम सुनते हैं। परन्तु कुछ दिनों पहले उनका स्वास्थ्य अचानक खेत में काम करते करते खराब हो गया। राम सिंह चौहान देश की वर्तमान व्यवस्था से हमेशा नाराज रहे हैं। वे भ्रष्टाचार को आजादी पर कलंक मानते रहे है। स्वाधीनता सेनानी राम सिंह चौहान के चार पुत्र थे। तीन पुत्रों पूरन सिंह, चंदन सिंह, आनंद सिंह का पहले ही निधन हो चुका है। सेनानी के साथ चौथे पुत्र गिरीश चौहान रहते थे और उनकी देखरेख करते थे।

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चौहान के निधन पर जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, पूर्व विधायक ललित फर्सवान, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, भाजपा अध्यक्ष इंद्र सिंह फर्सवान, कांग्रेस भगवत सिंह डसीला, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गीता रावल आदि ने गहरा दुख ब्यक्त किया है।

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