अल्मोड़ा/ उतराखड प्रथक राज्य इसलिए बनाया गया था इन आन्दोलन कारी व शहीदों का एक सपना था उतराखड में रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य सड़क का बिकास करंगे उतराखड राज्य बने 23साल होने जा रहे हैं लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों का युवा पलायन की रफ्तार में दौड रहा है।पर्वतीय जिलों में पौड़ी व अल्मोड़ा से सबसे ज्यादा पलायन कर रहे हैं।
युवा इस पलायन से गांव के गांव सुनसान है आदमियों की जगह पर जंगली जानवरों का बढ़ावा होते जा रहा है।आये दिन उतराखड के पर्वतीय क्षेत्रों में बाघ, तेंदूआ,भालू आदि जंगली जानवरों के कई लोगों की जान चली गई।प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया शिक्षा व स्वास्थ व रोजगार के चक्कर में तो पलायन तो हो ही रहा है।
जो कुछ लोग बचे कुछे है जंगली जानवरों के भय के कारण पलायन करने के लिए मजबूर है। पहाड़ों की खेती के लिए बंदर व ब्रह्म (जंगली सुअर) सौल आदि जानवरों के द्धारा खेत खेत बरबात हो रहे हैं।इधर बाघ तेंदूआ भालू के द्धारा आये दिन हमले से लोग मारे जा रहे हैं।
नेगी का कहना है अगर जंगली जानवरों के लिए सरकार की तरफ से कोई रोकथाम नहीं हुई तो उतराखड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन बडते जायेगा।खेती करते हैं तो बंदर व ब्रह्म जंगली सुअरों का आतंक अगर जंगलों से घास या कोई अन्य कार्य करते हैं बाघ तेंदूआ भालू का भय क्या करें ऐसे में पलायन तो होना ही है।