चंपावत/ कुदरत का क्या ही अजूबा विधान है कि कोई व्यक्ति दूसरों की खुशी में अपनी खुशी देखता है तो कोई नशे से जिन्दी लाश बनते जा रहे समाज को बचाने व नई पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ने में ही अपना जीवन समर्पित करने वाले जीआईसी रौंसाल के संस्कृत प्रवक्ता एवं योग व प्राणायाम से नशा मुक्त भारत की परिकल्पना में लगे शिक्षक ललित मोहन
ऐसे अवसरों में अपनी बात रखने से नहीं चूकते हैं। जहां लोग सामूहिक रूप से एकत्रित होते हैं। विगत दिवस नेपाल सीमा स्थित रैकुआ मढ़वा गांव में शंकर राम कोहली के पुत्र बसंत व पुत्रवधू विनीता के विवाह के मौके पर ललित जी ने न केवल उन्हें बधाई दी बल्कि संस्कार युक्त संतान की उत्पत्ति के लिए सोलह संस्कार अपनाने के साथ उपस्थित लोगों को शराब,
चरस, धूम्रपान, स्मैक आदि से अपना जीवन बर्बाद कर रहे लोगों से कहा कि वे न केवल अपनी पीढ़ी को बर्बादी की ओर ले जा रहे हैं बल्कि स्वयं जिन्दी लाश बनकर परिवार के लिए एक भार बनेंगे। ललित जी की इस मुहिम को व्यापक समर्थन मिलने के साथ लोग उन्हें अपना वास्तविक हितेषी भी मान रहे हैं।