पिथौरागढ़, बंदरों से छुटकारा पाने के लिए, आईटीबीपी के जवानों की अनोखी तरकीब।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि पिथौरागढ़

पिथौरागढ़/ बंदरों से निजात पाने के लिए आईटीबीपी जवानों की अनोखी तरकीब निकाली है भालू के वेश वाली पोशाक, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बंदर लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। अब तक बंदर खेती को नुकसान पहुंचा रहे थे परन्तु अब वे लोगों पर भी हमला करने लगे हैं। यहां तक कि लोगों के घरों में घुसकर सामान भी उठाकर ले जा रहे हैं।

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ऐसे में मुसीबत बने बंदरों से छुटकारा पाने को लोग तरह-तरह के उपाय खोज रहे हैं। पिथौरागढ़ के डीडीहाट में आईटीबीपी के जवानों ने बंदरों से निजात पाने के लिए सबसे अनोखी तरकीब अपनाई है। जवान भालू के वेश वाली पोशाक पहनकर आईटीबीपी परिसर के आसपास घुमते हैं। बंदर उन्हें भालू समझकर जंगल की ओर भाग जाते हैं। डीडीहाट के मिर्थी में आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी तैनात है।

पिथौरागढ़ में बंदरों ने जवानों के नाक में दम करके रखा है।

बंदर कभी जवानों की बैरकों में घुस जाते तो कभी मैस में घुसकर नुकसान पहुंचाते हैं। कई जवान तो दिनभर बंदरों को ही भगाने में लगे रहते हैं। बंदर कुछ वक्त के लिए तो चले जाते परन्तु थोड़ी देर में ही वे वापस लौट आते हैं। आईटीबीपी के जवानों ने बंदरों को दूर रखने के लिए भालू के जैसी पोशाक तैयार कराई है। काले रंग की ड्रेस को पहनकर जब दो से तीन जवान आईटीबीपी परिसर में घूमते हैं तो बंदर डर के भाग जाते हैं। हैरानी की बात है कि आईटीबीपी जवानों के इस अनोखे तरीके से लोगों ने भी राहत की सांस ली है।

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पुतला बनाकर बंदरों से बचा रहे खाद्य सामाग्री
जनपद में बंदरों के कारण लोगों के लिए छत पर खाद्य सामाग्री को सूखाना भी इन दिनों चुनौती बन गया है। आए दिन बंदर सामाग्री को उठाकर ले जाते हैं। ऐसे में डीडीहाट के लोगों ने बंदरों को भगाने के लिए अपने घर की छत पर पुतला बनाकर रखा हुआ है। पुतला बिल्कुल इंसान दिखाई दे इसके लिए उसे कपड़े, जूते तक पहनाए हुए हैं।कुर्सी में बैठे पुतले के हाथ में बड़ा सा डंडा भी रहता है।

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जिसे देखकर बंदर छत के आसपास नहीं भटकते।

जंगल छोड़ आबादी क्षेत्र में डाला है डेरा

कभी जंगलों तक ही सीमित रहने वाले बंदरों ने बदलते वक्त के साथ अपना आशियाना भी बदल लिया है। अब बंदर शहर में डेरा डालकर रह रहे हैं। आवासीय मकानों से लेकर स्कूल की छतों और खेतों में बंदरों का झुंड आसानी से देखा जा सकता है।

उत्तराखंड में 1 लाख 10 हजार से अधिक बंदर मौजूद हैं

बंदरों की समस्या से सीमांत जनपद ही नहीं बल्कि राज्य भर के अन्य जिलों में रहने वाले लोग भी परेशान हैं। राज्य भर में वर्तमान में 1 लाख 10 हजार से अधिक बंदर मौजूद हैं।

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