चम्पावत, शादी नहीं कि तो सेना के जवान पर रेप के केस में दर्ज कराया मुकदमा, कोर्ट ने किया बरी।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि चम्पावत

चम्पावत/ शादी का भरोसा देकर शारीरिक संबंध बनाने के मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो) अनुज कुमार संगल की अदालत ने भारतीय सेना में तैनात जवान को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने माना कि प्रस्तुत तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अभियुक्त के विरुद्ध आरोप साबित नहीं हो पाए।

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नवंबर 2021 में चंपावत कोतवाली में दर्ज कराई गई एफआईआर में बीएससी पास युवती ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2017 में हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान उसकी पहचान 27 वर्षीय रंजीत से हुई। मोबाइल पर बातचीत और चैट के बाद दोनों नजदीक आए। पीड़िता के मुताबिक अभियुक्त ने उसे शादी का भरोसा देकर अपने दोस्त के कमरे में बुलाया और शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद जुलाई 2021 तक अलग-अलग जगहों पर कई बार संबंध बनाए।

शादी से इन्कार पर विवाद की शुरुआत रेप के केस में मुकदमा

पीड़िता का कहना था कि दोनों परिवारों में शादी की बात भी चली लेकिन अभियुक्त ने यह कहकर विवाह से इंकार कर दिया कि कुंडली नहीं मिलने और पीड़िता के मांगलिक होने की वजह से उसके परिजन सहमत नहीं हैं।

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इसके बाद अभियुक्त ने अपनी शादी पीड़िता की सहेली से तय कर ली। इसी से आहत होकर युवती ने चंपावत कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई।

कोर्ट की दलीलें

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह सही है कि वयस्कता की आयु प्राप्त करने से पहले बने संबंध अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं होते हैं। चूंकि यह संबंध अवयस्कता से वयस्कता की उम्र के बीच बने हैं और यह भी सिद्ध नहीं हो पाया कि अभियुक्त का प्रारंभ से ही विवाह का आशय नहीं था। जबकि पीड़िता वयस्क होने के बाद भी 02 वर्ष तक अभियुक्त के साथ संबंध में रही।

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पहली बार बने संबंध के 04 वर्ष बाद शिकायत दर्ज कराई गई पीड़िता ने स्वयं कोर्ट में कहा कि यदि अभियुक्त उससे शादी कर लेता तो वह शिकायत दर्ज नहीं करती। इन परिस्थितियों में अदालत ने अभियुक्त को दोषसिद्ध करना उचित नहीं माना और संदेह का लाभ देते हुए उसे दोषमुक्त कर दिया। अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता आर. एस. बिष्ट ने पैरवी की।

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