लोहाघाट/ अमर शहीद वीर केसरी चन्द जी का जन्म 1 नवम्बर, 1920 को जौनसार बावर के क्यावा गांव में पं० शिवदत्त के घर पर हुआ था। नेतृत्व के गुण और देशप्रेम की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। इण्टर की परीक्षा पूर्ण किये बिना ही केसरी चन्द जी 10 अप्रैल, 1941 को रायल इन्डिया आर्मी सर्विस कोर में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हो गये।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी ने नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के नारे से प्रभावित होकर यह आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गये। इनके भीतर अदम्य साहस, अद्भुत पराक्रम, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ संकल्प शक्ति का ज्वार देखकर इन्हें आजाद हिन्द फौज में जोखिम भरे कार्य सौंपे गये, जिनका इन्होंने कुशलता से सम्पादन किया।
इम्फाल के मोर्चे पर एक पुल उड़ाने के प्रयास में ब्रिटिश फौज ने इन्हें पकड़ लिया और बन्दी बनाकर दिल्ली की जिला जेल भेज दिया। मात्र 24 वर्ष 6 माह की अल्पायु में यह अमर बलिदानी 3 मई, 1945 को आततायी ब्रिटिश सरकार के आगे घूटने न टेककर हंसते-हंसते ’भारतमाता