सांसद निधि खर्च करने में निकम्मे निकले उतराखंड के तीनों राज्य सभा सांसद।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि देहरादून

 देहरादून/ एक ओर प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2047 तक देश को विकसित देशों में शामिल करना चाहते है तो वही उत्तराखंड के तीनों राज्यसभा सांसद निधि को विकास योजनाओं पर खर्च करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे। यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।

यह भी पढ़ें 👉कांग्रेस आज हरिद्वार व नैनीताल सीट पर इन दो दिग्गज नेताओं के नाम की कर सकती हैं घोषणा।

आंकड़ों पर नजर ड़ाले तो तीनों सांसदों की 92 फीसद निधि दिसम्बर 2023 तक खर्च नहीं हो पाई। हैरान करने वाली वाली बात यह है कि तीनों सांसद 65 फीसदी से अधिक की सांसद निधि जारी ही नहीं करा पाए है। सांसद निधि खर्च करने में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी जहां आगे है वही डॉ. कल्पना सैनी सबसे पीछे है। आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट नदीमउद्दीन को ग्राम विकास आयुक्त से जो जानकारियां प्राप्त हुई है। उसके अनुसार तीनों सांसद 41.50 करोड़ की सांसद निधि प्राप्त करने के पात्र है परन्तु पिछली सांसद निधि किस्त के खर्च संबंधी प्रमाण, आडिट रिपोर्ट आदि प्राप्त न होने के कारण 27 करोड़ जो कुल सांसद निधि का 65 प्रतिशत है उन्हें जारी नहीं किया जा पाया।

यह भी पढ़ें 👉चार धाम यात्रियों के लिए अच्छी खबर इस वर्ष गौचर से बदरीनाथ व गोविंदघाट के लिए शूरू होगी हेली सेवा इतना रहेगा किराया।

केंद्र सरकार द्वारा जारी 41.50 करोड़ की सांसद निधि में 44.69 लाख ब्याज जोड़कर कुल 41 करोड़ 94 लाख 69 हजार की सांसद निधि में दिसम्बर 2023 तक केवल 3 करोड़ 7 लाख 40 हजार की सांसद निधि ही खर्च हो पाई। जबकि कुल 92 प्रतिशत से अधिक 38 करोड़ 87 लाख 29 हजार की सांसद निधी खर्च किया जाना बाकी है। रिपोर्ट के अनुसार राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की 22 करोड़ में से 5 करोड़ रूपये, सांसद नरेश बंसल को 12 करोड़ में से दो करोड़, डॉ. कल्पना सैनी को 7.5 करोड़ रूपये की सांसद निधि केंद्र सरकार जारी कर चुकी है।

यह भी पढ़ें 👉उत्तराखंड में होगी झमाझम बारिश के साथ बर्फबारी, ओलावृष्टि व बिजली चमकने को लेकर 11 जिलों के लिए अलर्ट जारी।

बलूनी ने इसमें सें केंद्र से मिली निधि व उस पर 40.13 लाख ब्याज सहित कुल उपलब्ध 5 करोड़ 40 लाख 13 हजार से ज्यादा 6 करोड़ 83 लाख 10 हजार के प्रस्ताव तो स्वीकृत कर दिए परन्तु 4 करोड़ 67 लाख 36 हजार की धनराशि अवमुक्त नहीं हो पाई है जो कुल सांसद निधि का 90.89 फीसदी है।

एससी, एसटी के विकास कार्यों में भी कंजूसी

रिपोर्ट के अनुसार एससी, एसटी से जुड़े विकास कार्यों पर सांसदों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

यह भी पढ़ें 👉इस मामले में प्रदेश सरकार से शुक्रवार तक हाईकोर्ट ने मांगा जवाब।

रिपोर्ट के अनुसार राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और डॉ. कल्पना सैनी ने अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के कार्यों पर कोई सांसद निधि खर्च नहीं की है। जबकि सांसद नरेश बंसल द्वारा अनुसूचित जाति के कार्यों पर मात्र छह लाख तथा अनुसूचित जनजाति के कार्यों पर तीन लाख की धनराशि खर्च की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *