नैनीताल/ कल 19 अप्रैल को अगली सरकार बनाने के लिए उत्तराखंड के गांव भी मतदान करने वाले हैं वैसे कहा जाए तो इस दौर को हमारी सरकारों ने अमृतकाल घोषित किया है बताया जा रहा है यह भारत का अमृतकाल चल रहा है।
परन्तु उत्तराखंड का दुर्भाग्य है आजादी के लगभग 77 वर्षों बाद भी आज नैनीताल जिले के रामगढ़ विकास खंड के जाजर गांव स्थित बूथ संख्या 96 कि यदि बात करे वहां के मतदाता आज भी अपने गांव में सड़क के लिए तरस रहे हैं कितना खूबसूरत अमृतकाल चुनाव निर्वाचन की ड्यूटी में लगे इन अधिकारियों के लिए भी आया हुआ है इन्हें इस बूथ में पहुंचने के लिए इस बूथ में उस ईवीएम को पहुंचाने के लिए जिससे भारत की अगली सरकार चुनी जानी है आज भी घोड़े खच्चरों का सहारा लेना पड़ रहा है।
जब सरकार चुनने वाली ईवीएम एवं मतदाताओं से वोट कराने वाले अधिकारी और इन्हीं मतदाताओं से वोट मांगने वाले नेता चुनाव के बाद इन्हें भूल जाते है तो इस देश को कौन सा अमृतकाल समझाया जा रहा है यह प्रत्येक मतदाता को स्वयं से सवाल करने की आवश्यकता है क्योंकि यह लोकतंत्र है तो मतदाता ही सर्वोपरि है लेकिन ऐसा लगता है यह सिर्फ कहने की बात है।
One thought on “नैनीताल, सरकारों के वादे और हकीकत, ये कैसा अमृतकाल जिस ईवीएम से मतदान कराना है उसे गांवों तक पहुंचाने के लिए घोड़े खच्चरों का सहारा।”