जंगलों की आग ने राज्य में बढ़ाया राजनीतिक पारा।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि देहरादून:-

देहरादून/ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूदा समय में ज्यादातर वक्त चुनाव प्रचार में बिता रहे हैं। जबकि उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग लगातार विकराल रूप ले रही है। जिससे वनाग्नि का असर वन्य जीव-जंतुओं और पर्यावरण पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कुमाऊं और गढ़वाल के जंगल आग से बीते कई दिनों से धधक रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार पूरी तरह से आग पर काबू पाने में नाकामयाब रही।

यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड 75 प्रतिशत जंगल से घिरा हुआ है। आग निरंतर बढ़ रही है। आग पर काबू पाने के लिए कोई भी तंत्र मौजूद नहीं है और जो तंत्र मौजूद हैं, वह कारगर नहीं है। ऐसे में सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सभी काम छोड़कर राज्य के हित में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा आपदा प्रबंधन विभाग प्राकृतिक घटनाओं को कम करने में विफल हो गया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा सिर पर है। ऐसे में चारधाम रूट और मंदिरों में किसी भी तरह की कोई व्यवस्था अभी दिखाई नहीं दे रही है। जब लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आएंगे, तो कितनी अव्यवस्थाएं बढ़ जाएगी, इसका अंदाजा शायद सरकार को नहीं है।

सीएम बोले-जल्द आग पर पाएंगे काबू:-

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एक आंकड़े के मुताबिक उत्तराखंड में 26 अप्रैल तक 575 आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई है। साथ ही करोड़ों रुपए की वन संपदा का नुकसान भी राज्य को हुआ है। नैनीताल में तो सरकार को आग बुझाने के लिए वायु सेवा का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि रोजाना वो वनाग्नि के बारे में अधिकारियों से अपडेट ले रहे हैं और डीएफओ व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही आग पर काबू पा लिया जाएगा।

आग से व्यापारियों को हो रहा नुकसान:-

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उत्तराखंड में आग लगने की घटनाओं से न केवल जंगलों को नुकसान हो रहा है, बल्कि इसका असर आने वाले चारधाम यात्रा के सीजन पर भी पड़ सकता है। आगजनी की घटनाओं से श्रद्धालुओं में भय का माहौल पैदा हो गया है। ऐसे में सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ वन विभाग को भी जल्द से जल्द आग पर काबू पाना होगा। क्योंकि उत्तराखंड और गढ़वाल का छोटा और बड़ा व्यापारी इसी यात्रा सीजन के लिए 6 महीने से इंतजार में बैठा रहता है।

One thought on “जंगलों की आग ने राज्य में बढ़ाया राजनीतिक पारा।

  1. ज़िमेदारी तो आर्य जी की भी को वो भी उत्तराखंड के जंगल में लगी आग को भुजा सकते है

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