चम्पावत/ लोहाघाट क्षेत्र के विश्व प्रसिद्ध अद्वैत आश्रम मायावती में स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी माँ शारदा की जन्मतिथि को बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया गया।इस अवसर पर प्रबुद्ध भारत के संपादक स्वामी गुनोत्तमानन्द जी महाराज द्वारा शारदा माँ के जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि शारदा माँ भारत के सुप्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं। रामकृष्ण मिशन में वह ‘श्रीमाँ’ के नाम से परिचित हैं।उन्होंने बताया कि शारदा देवी और रामकृष्ण परमहंस का विवाह संबंध अलौकिक था। रामकृष्ण देव हमेशा शारदा देवी को माँ के रूप में ही देखते थे।स्वामी गुनोत्तमानन्द ने बताया कि शारदा माँ कहा करती थी कि यदि आप मन की शांति चाहते हैं, तो दूसरों में दोष न खोजें।
बल्कि अपने स्वयं के दोष देखें। पूरी दुनिया को अपना बनाना सीखें। कोई अजनबी नहीं है, पूरी दुनिया आपकी अपनी है।
स्वामी गुनोत्तमानन्द ने बताया कि शारदा देवी ने रामकृष्ण मिशन के सलाहकार प्रमुख के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित एक मठवासी आदेश बन गया। खुद अशिक्षित, शारदा माँ ने महिलाओं के लिए शिक्षा की वकालत की।शारदा मठ और रामकृष्ण शारदा मिशन महिलाओं के लिए एक मठवासी आदेश शारदा देवी के सम्मान में स्थापित किया गया था।
उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में धर्म संसद में भाग लेने के अपने इरादे के बारे में उनकी राय जानने के लिए उन्हें एक पत्र लिखा था। उनका आशीर्वाद लेने के बाद ही उन्होंने अमेरिका जाने का फैसला किया।
आश्रम में प्रबोधन के बाद भंडारे का भी आयोजन हुआ जिसमे सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम में आश्रम के प्रबंधक स्वामी सुहृदयान्द जी महाराज, स्वामी ध्यानसतानंद जी महाराज, कीर्ति बगौली,सुमित पुनेठा, शशांक पांडेय, बची सिंह जीना, त्रिभुवन उपाध्याय, संदीप बगौली, गजेंद्र उपाध्याय, मोहित पुनेठा, विनोद बगौली समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।