देहरादून, 15 से लेकर 17 साल से राजधानी में ही डेरा डाले हुए हैं जल संस्थान के एक दर्जन से ज्यादा अभियंता।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि देहरादून

 देहरादून/ उत्तराखंड जल संस्थान में अधिकांश सहायक अभियंता अधिशासी अभियंता अधीक्षण अभियंता चमचागिरी करके रह रहे हैं राजधानी देहरादून के डिविजनों मे श्रीनगर, उत्तराखंड जल संस्थान विभाग में नियमित कर्मचारी कनिष्ठ अभियंता सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता जो कि स्थानांतरण नीति के तहत एक डिवीजन में 3 वर्ष से अधिक का समय पूरा करके स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकता है लेकिन जल संस्थान में कुछ अलग ही नियम चलते हैं इस विभाग मैं तैनात सीजीएम ( मुख्य महाप्रबंधक) जो कि कनिष्ठ अभियंता जूनियर इंजीनियर के ट्रांसफर के लिए योग्य हैं और इसे ऊपर सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंताओं, अधीक्षण अभियन्ता के ट्रांसफर शासन में विभागीय सचिव के माध्यम से होता है परन्तु जल संस्थान में यह तंत्र चमचागिरी और राजनीति के भेंट चढ़ जाता है।

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विभागीय तौर पर एक लिस्ट आउट हुई है जिसमें बहुत सारे सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता अधीक्षण अभियंता 15 से लेकर 17 साल से राजधानी में ही जमें हुए है जिसमें निम्नवत नाम है जो कि लगभग देहरादून के डिवीजन में ही सेवाएं दे रहे हैं जो निम्न है
[07/02, 2:33 pm] न्यूज़ 13 उत्तर-प्रदेश/उत्तराखंड: 1- मनीष सेमवाल अधीक्षण अभियंता 9 साल से देहरादून

2- राजेंद्र पाल अधिशासी अभियंता 5 साल से देहरादून

3- नमित रमोला अधीक्षण अभियंता 06 साल से देहरादून

4- त्रेपन सिंह सहायक अभियंता 17 साल से देहरादून

5- निशा गौतम सहायक अभियंता 9 साल से देहरादून

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6- विनोद पांडे सहायक अभियंता 15 साल से देहरादून

7- सुभाष जुयाल सहायक अभियंता 15 साल से देहादून

8- अरुण विक्रम सिंह रावत 17 साल से देहरादून
[07/02, 2:37 pm] न्यूज़ 13 उत्तर-प्रदेश/उत्तराखंड: 9- जगदीश पवार सहायक अभियंता 2 साल से देहरादून

10- रमेश गब्र्याल सहायक अभियंता 09 साल से देहरादून

11- हरीश बंसल सहायक अभियंता 17 साल से देहरादून

12- राघवेंद्र डोभाल सहायक अभियंता 06 साल से देहरादून

13- अनिल सिंह नेगी सहायक अभियंता 12 साल से देहरादून

14- भगत सिंह रावत सहायक अभियंता 12 साल से देहरादून

जबकि उत्तराखंड के 13 जिलो के अलग-अलग जल संस्थान के डिविजनो में सेवाएं दे रहे कनिष्ठ अभियंता सहायक अभियंता अधिशासी अभियंता जिनकी सुध लेने वाला कोई नही है ऐसे कर्मचारी जिनको दुर्गम में 10 साल से भी ऊपर हो गया है।

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परन्तु उनकी सुध लेने वाला ना तो मुख्य महाप्रबंधक हैं और ना ही विभागीय सचिव क्योंकि उन लोगों की कोई खास राजनीतिक पकड़ नहीं है या फिर वह चमचागिरी नहीं करना चाहते हैं।अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव के चलते सरकार क्या ऐसे कर्मचारियों पर एक्शन लेकर के उन्हें दुर्गम क्षेत्र में सेवाएं करने के लिए भेजती है या देहरादून में रखती है।

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