नैनीताल/ इस वर्ष अब तक बारिश व बर्फवारी नही होने व लाखों लीटर पानी जलागम क्षेत्रों से दोहन करने के बाद नैनी झील लगातार खतरे की ओर बढ़ रही है। एक ओर नैनी झील का जल स्तर लगातार गिर रहा है। दूसरी ओर झील के जलागम क्षेत्रों से भूमिगत जल 11 नलकूपों से 14 लाख लीटर पानी रोजाना लगातार दोहन किया जा रहा है। शासन प्रशासन महज चिंता ही प्रकट कर रहा है। जमीनी योजनाएं कहीं नहीं दिखाई दे रही है। वर्ष 2016 में नैनी झील का जल स्तर 19 फीट नीचे चला गया था।
जहां झील सिकुड़ कर डरावनी लग रही थी। वहीं नैनीताल में पानी के लिए हा.हाकार मच गया था। तेजी से घट रहे जलस्तर नैनीताल के लिए सर्वाधिक चिन्ता का विषय बना हुआ है। मार्च के दूसरी पखवाड़े में ही झील का जलस्तर सामान्य स्तर से सात फीट चार इंच नीचे चला गया है। सिंचाई विभाग के झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश गैड़ा के अनुसार बुधवार को झील का जलस्तर सात फीट चार इंच मापा गया है। यह स्तर सामान्यत अप्रैल-मई में होता है। जानकारों की चिंता यह है कि आगामी दिनों भीषण गर्मी के दौरान झील की हालत क्या होगी। इधर लगातार झील के जलागम क्षेत्रों से जल संस्थान लाखों लीटर पानी का रोजाना दोहन कर रहा है। लोगों का कहना है कि जल संस्थान अभी से पानी का वितरण रोस्टर से नहीं करता तो गर्मियों में शहर की स्थिति दयनीय हो जायेगी।
बीते फरवरी में कुछ बारिश तो हुई परन्तु झील में इसका असर नहीं देखा गया। मानसून के बाद नैनीताल में पिछले छह महीने से बारिश नहीं हुई है। प्रमुख जलागम क्षेत्र सूखाताल पूरी तरह सूख चुका है। जलागम क्षेत्र से ही जल संस्थान नलकूपों से पानी खींच रहा है। वहीं अब तक बारिश व बर्फबारी नहीं होने से झील रिचार्ज नहीं हो रही है। नैनी झील 40 प्रतिशत भूमिगत जल से तथा 60 प्रतिशत बरसात के जल से रिचार्ज होती है। झील के जल स्तर को सामान्य बनाने के लिए शीतकालीन बारिश व पर्याप्त बर्फबारी जरूरी है। लेकिन इस बार अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। जानकारों की मानें तो अगर अब भी पर्याप्त बारिश व बर्फबारी नहीं हुई तो गर्मियों में जल संकट पैदा हो सकता है। इधर लगातार जलादोहन के बाद झील के जल स्तर पर भारी गिरावट आने के बाद भी सरकारी तंत्र पर कोई प्रभाव नही पड़ रहा है। कई स्थानों में लगातार 24 घंटे पानी की आपूर्ति जारी है। कई स्थानों में पाइप लाइनों से लगातार जल रिसाव हो रहा है।
बाहरी जल स्रोतों पर भी पड़ेगा विपरित प्रभावः पर्यावरणविद् प्रो. अजय रावत का स्पष्ट कहना है कि सरकारी तंत्र को पानी के लिए अत्यधिक जल दोहन झील के जलागम क्षेत्रों से नहीं करना चाहिये। उनका यह भी कहना है कि जल स्तर गिरने से न केवल नैनीताल शहर में जल संकट होगा बल्कि इसका व्यापक असर उन बाहरी जल स्रोतों पर भी पड़ेगा जिससे आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को पानी की आपूर्ति की जाती है। उन्हां ने बताया कि शहर से बाहर आसपास के कई जल स्रोत ऐसे है जिनका सीधा संबंध नैनी झील से है। प्रो. रावत का कहना है कि जल संस्थान को रोस्टर के हिसाब से पानी अभी से वितरित किया जाना चाहिये। झील से अधिक पानी दोहन की स्थिति आई और बर्फबारी व बरसात नहीं हुई तो हालात बेहद गंभीर हो जायेंगे।