देहरादून/ जौलीग्रांट एयरपोर्ट के आसपास मनमर्जी से किए जा रहे निर्माण कार्य एयरपोर्ट के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। अगर जल्द इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो एयरपोर्ट के लाइसेंस पर तलवार लटक सकती है। नियम विरुद्ध हो रहे निर्माण कार्यों के संबंध में एयरपोर्ट प्रशासन ने जिलाधिकारी को पत्र भेजे जाने के बाद कार्रवाई के लिए आवास सचिव को पत्र लिखा है। देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए लगभग 20 किलोमीटर तक के क्षेत्र को रेड, ऑरेंज और यलो जोन में बांटा गया है। इसमें एयरपोर्ट के करीब से लगभग सात किलोमीटर तक रेड जोन, उसके बाद ऑरेंज और फिर तीसरा हिस्सा यलो जोन है।
सभी तरह के विमानों व हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए रेड जोन सबसे संवेदनशील है। इन तीन जोन में निर्माण के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने किसी भी तरह के निर्माण कार्यों के लिए अलग-अलग ऊंचाई निर्धारित की है। एयरपोर्ट के तीनों जोन में निर्माण कार्यों के लिए एमडीडीए से नक्शा स्वीकृति के साथ ही एयरपोर्ट से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। बावजूद एयरपोर्ट के निर्धारित दायरे में किसी निर्माण कार्य के लिए एयरपोर्ट से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया जा रहा है। जिससे एयरपोर्ट के आसपास अंधाधुंध ऊंचे निर्माण कार्य होने से एयरपोर्ट प्रशासन चिंतित है। जिला प्रशासन से लेकर आवास सचिव तक को इस संबंध में कार्रवाई को पत्र लिख चुका है। अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए www.aai.airo.com ऑनलाइन आवेदन किया जाता है।
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) हवाई यात्रियों की सुरक्षा के लिए एयरपोर्ट पर निगरानी करती है। जिसमें एयरपोर्ट के पास से निर्धारित दूरी तक ऊंचे निर्माण कार्यों के मानकों को भी देखा जाता है। जिस प्रकार देहरादून एयरपोर्ट के आसपास बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र ऊंचे निर्माण कार्य किए जा रहे हैं उससे एयरपोर्ट के लाइसेंस निरस्त करने तक बात आ सकती है। सचिव एमडीडीए मोहन बर्निया का कहना है कि एमडीडीए 1984 से कार्य कर रहा है। उड़ानों के लिहाज से एयरपोर्ट इसके बाद संचालित हो रहा है। इसलिए वो सिर्फ भवनों या अन्य संबंधित निर्माण कार्यों का मानचित्र स्वीकृत करते हैं। जिसमें एमडीडीए एयरपोर्ट के अनापत्ति प्रमाणपत्र को नहीं देखता है। तो वहीं एयरपोर्ट निदेशक प्रभाकर मिश्रा का कहना है कि बिना एयरपोर्ट की एनओसी के धड़ल्ले से निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। जिसके लिए डीएम और आवास सचिव को पत्र लिखा जा चुका है। मानकों के पूरा न होने पर डीजीसीए एयरपोर्ट का लाइसेंस भी रद्द कर सकता है।