चम्पावत, लंपी वायरस पशुपालन विभाग पर पड़ा भारी,पशु धन प्रसार केंद्र में लटके हुए हैं ताले।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि पुष्कर सिंह बोहरा चम्पावत

 चम्पावत/ लंपी वायरस पशुपालन विभाग पर पड़ा भारी,पशु धन प्रसार केंद्र में लटके हुए हैं ताले।

क्षेत्रीय विधायक अधिकारी ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने के साथ युद्ध स्तर पर रोग की रोकथाम के लिए सीएम से लगाई गुहार।
लोहाघाट। पर्वतीय जिलों में चंपावत ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक दूध का उत्पादन होता है।

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यहां दूध का उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त माध्यम बना हुआ है। पशुओं में लंपी वायरस का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार अभी तक आठ पशुओं की मौत हो चुकी है जबकि ग्रामीणों के अनुसार यह मौत का आंकड़ा दर्जनों में पहुंच गया है। जिले में विभाग के पास सचल पशु चिकित्सालय समेत पंद्रह अस्पताल है।

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इनके अधीन 22 पशुधन प्रसार केंद्र है जिसमें आधे में ताले लटके हुए हैं। लोहाघाट जैसे क्षेत्र में आधा दर्जन गायें मरने से पशुपालकों की नींद उड़ी हुई है। इन क्षेत्रों में सर्वाधिक दुधारू अच्छी नस्ल की गायें हर गोठ में बंधी हुई है। जिले के ओर छोर में लंपी वायरस का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इसमें पशुओं के पैरों में एकाएक सूजन, बुखार, थन से लेकर पूरे शरीर में दाने निकलने से पशु पस्त हो जा रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी ने इस और सीएम धामी का ध्यान आकर्षित करते हुए पीड़ित पशुपालकों को 50 -50 हजार रुपए का मुआवजा देने के साथ युद्ध स्तर पर रोग की रोकथाम के उपाय करने की मांग की है। विधायक का कहना है कि यहां के सभी पशुपालक बेहद डरे एवं सहमे हुए हैं उन्हें तत्काल राहत देने की आवश्यकता है।

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हालांकि विभाग द्वारा वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए टीकाकरण का अभियान व्यापक स्तर पर चलाया हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में घर घर पशुओं के रोग ग्रस्त होने के कारण स्टाफ की कमी बहुत भारी पड़ रही है। पाटी ब्लॉक का ही उदाहरण लें इतने बड़े क्षेत्र में पाटी व खेतीखान में ही पशु चिकित्सालय है जिसके अधीन देवीधुरा, मूलाकोट, ज्योस्युड़ा, भिंगराडा, रीठा साहिब क्षेत्रों में कोई पशुधन प्रसार सहायक है ही नहीं। इतने बड़े क्षेत्र की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की हो रही मौतों का सही आंकड़ा भी विभाग को नहीं मिल पा रहा है।

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मुख्यमंत्री द्वारा चंपावत को मॉडल जिला बनाने का प्रयास तो किया जा रहा है जिसके तहत जिले में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने की भी महत्वपूर्ण पहल की जा रही है लेकिन विभाग में कर्मचारियों की कमी इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। सीबीओ डॉक्टर पीएस भंडारी का मानना है कि स्टाफ की भारी कमी के कारण विभाग एक कदम आगे नहीं बढ़ पा रहा है जबकि यहां दुग्ध उत्पादन की अपार संभावनाएं बनी हुई है। आए दिनों विभाग के सभी कर्मचारी अन्य सारे काम छोड़कर रात दिन लंपी वायरस की रोकथाम मैं लगे हुए हैं।

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