चम्पावत, करनी और कथनी में फर्क, मुख्यमंत्री जिस विधानसभा को हिमालई राज्यों की आदर्श विधानसभा बनाने की बात कह रहे हैं, मुख्यमंत्री की उसी विधानसभा के लोग गर्भवती महिला को डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाने के लिए है लाचार।
चम्पावत, करनी और कथनी में फर्क, मुख्यमंत्री जिस विधानसभा को हिमालई राज्यों की आदर्श विधानसभा बनाने की बात कह रहे हैं, मुख्यमंत्री की उसी विधानसभा के लोग गर्भवती महिला को डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाने के लिए है लाचार।
चम्पावत/ मुख्यमंत्री धामी को खटीमा से चुनाव हारने के बाद जिन चम्पावत के लोगों ने भारी मतों से जीताकर विधानसभा भेजा उसी चंपावत के झालाकुड़ी के ग्रामीण डोली की मदद से गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए लाचार है। गांव में सड़क सुविधा का नहीं होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण लंबे वक्त से सड़क सुविधा की मांग करते आ रहे हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। गांव में रहने वाले 40 परिवार एक सड़क के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की विधानसभा का यह हाल है तो विधायको की बदहाल विधानसभाओं का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
लचर स्वास्थ्य सेवा और जनप्रतिनिधियों की अपनी जिम्मेदारी के प्रति उदासीनता के चलते पर्वतीय क्षेत्रों अधिकांश जगहों पर डोली ही गांव के लोगों के लिए 108 सेवा बन कर उभर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सड़क सुविधा का अभाव है वहां आज भी ग्रामीण डोली के माध्यम से मरीजों व गर्भवती महिलाओं को किलोमीटरों पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाते हैं। ताजा मामला चंपावत जिले के झालाकुडी का है। जहां ग्रामीणों ने मंगलवार को देर शाम एक गर्भवती महिला को 4 किलोमीटर पैदल चलकर डोली के सहारे मुख्य मार्ग तक पहुंचाया। जिसके बाद उसे चंपावत जिला अस्पताल पहुंचाया गया।
ग्रामीणों का कहना है मुख्यमंत्री चंपावत को आदर्श जिला बनाने की बात करते हुए लगातार पलायन को रोकने की बात कर रहे है जो ग्रामीणों को महज मज़ाक उनके साथ किया गया लगता है।ग्रामीणों ने कहा वे बरसों से गांव में सड़क की मांग कर रहे हैं लेकिन आज तक किसी ने सुध नहीं ली सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दिए जाते रहे हैं ग्रामीणों ने कहा मुख्यमंत्री जिले को आदर्श जिला बनाने की बात कर रहे हैं पर उन्हें आज भी मरीजों को डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है।