चमोली/ लघु सिंचाई विभाग चमोली में अभियंताओं द्वारा जमकर भ्रष्टाचार करके सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।लघु सिंचाई विभाग का कार्य है कि छोटे-छोटे श्रोतों, नदियों, गधेरों/नालों पर योजनाओं का निर्माण कर काश्तकारों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराना जिससे भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हो पाए।
लेकिन पिछले 12 से 14 वर्षों से एक ही जनपद में टिके इंजीनियर एवं पदाधिकारीयों की मनमानियों की हालत एसी है कि बिना टेंडर निकाले और सलेक्शन बाँड के आधार पर केवल अपने चहेते ठेकेदारों को निविदाओं की बंदर बांट की जा रही है। इससे सरकार को तो राजस्व का चुना लग ही रहा है साथ ही अन्य ठेकेदारों की आजीविका पर भी संकट गहरा रहा है।
साल 2020 से लेकर 2023 तक लघु सिंचाई विभाग द्वारा 48 निवदांए निकाली गई जिसके लिए विभाग को सरकार द्वारा करोड़ों रुपए का धन स्वीकृत किया गया। परन्तु लघु सिंचाई विभाग गोपेश्वर में भ्रष्टाचार के चलते सारे विभागीय नियमों को ताक पर रख कर अवर अभियंता और सहायक अभियंता द्वारा अपने पसंदीदा ठेकेदारों से सलेक्शन बाँड के आधार पर ये कार्य करवा लिए गए।
सलेक्शन बाँड किसी निविदा का कार्य करने की वह पद्धति है जिसके मुताबिक आपदा या विषम परिस्थिति में किसी कार्य को जल्दी पूरा करने के लिए बिना टेंडर निकाले कार्य की लागत का कुल 5% धरोहर राशि जमा करने के बाद ठेकेदार उक्त कार्य को कर सकता है। इससे राजस्व की तो हानि होती ही है परन्तु उक्त कार्य को बहुत जल्दी करवाने के लिए विभाग यह प्रक्रिया अपनाते हैं। परन्तु लघु सिंचाई विभाग गोपेश्वर ने सलेक्शन बाँड प्रक्रिया को ही अपनाकर बंदर बांट का खेल शुरू कर दिया है।
ऐसे ही एक मामले में लघु सिंचाई विभाग द्वारा 2 फरवरी 2023 को एक कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई जिसके लिए स्थानीय ठेकेदार गिरीश चंद्र सती ने 15 से 17 प्रतिशत तक कम पर निविदा डाली परन्तु विभागीय अधिशासी अभियंता ने उन्हें बजट न होने का बहाना बनाकर उनकी निविदा निरस्त कर दी। लेकिन 10 महीने बाद ही इस कार्य को सलेक्शन बाँड के आधार पर चहेते ठेकेदारों को दे दिया गया।वर्ष 2023 में पर्यटन विभाग से लघु सिंचाई विभाग को 60 योजनाओं के लिए पैसा मिला लेकिन इन 60 योजनाओं में मात्र 28 योजनाओं पर ही टेंडर प्रक्रिया की गई बाकी सभी कार्य पूर्व की भांति सलेक्शन बाँड के आधार पर बांटे दिए गए।इसी प्रकार विधायक निधि, शिक्षा विभाग, मत्स्य विभाग और नगर पालिका जैसे अनेक विभाग हैं जिनके द्वारा लघु सिंचाई विभाग गोपेश्वर को निर्माण कार्यों के लिए पैंसा दिया जा रहा है परन्तु यह सभी निविदाएं चहेते ठेकेदारों को बांटी जा रही हैं।
लघु सिंचाई विभाग द्वारा मनमानियों की हद यह है कि यदि किसी कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया भी निकली जा रही है तो इसके लिए क्षेत्र के ही एक स्थानीय एवं साप्ताहिक अखबार में निविदा निकाली जा रही है। जबकि नियमानुसार दो दैनिक समाचार पत्रों में निविदा निकालनी चाहिए परन्तु गोपेश्वर लघु सिंचाई विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा।
इन्हीं शिकायतों को लेकर गोपेश्वर निवासी गिरीश चंद्र सती ने जिला अधिकारी को एक शिकायती पत्र भी दिया है। अब देखना होगा कि जिला अधिकारी वर्षों से टिके इन भ्रष्ट अभियंताओं पर क्या कार्रवाई करते हैं!