जानिए उतराखंड में यहां 10 वर्षीय मासूम किसकी शिकायत लेकर पहुंचा थाने, मासूम की शिकायत सुन पुलिसकर्मी भी हुए हैरान।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि नैनीताल

नैनीताल/ हर घर में पति-पत्नी की लड़ाई के किस्से तो आपने सुने होंगे परन्तु मां-बाप की लड़ाई के कारण बच्चों पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है यह शायद ही कोई पति- पत्नी गंभीरता से सोचता होगा। ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है। मां-बाप को अकसर लड़ता देख एक 10 वर्षीय मासूम के इस कदम से सब हैरान रह गए। आपबीती बयान करने को मासूम कोतवाली पहुंच गया।

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मासूम की बातें सुनकर पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। मल्लीताल में रहने वाला 10 साल का मासूम रोजाना मम्मी-पापा के बीच होने वाले झगड़े से तंग आ गया। बुधवार को भी उनके बीच विवाद हुआ और नौबत मारपीट तक आ गई। ऐसे में बच्चे से रहा नहीं गया और वह सीधे कोतवाली पहुंच गया। बच्चे ने पुलिस को बताया कि मम्मी-पापा रोज लड़ाई करते हैं। बुधवार को भी वह झगड़े तो उसने आसपास रहने वालों से बीच-बचाव करने के लिए मदद मांगी।

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परन्तु पड़ोसियों ने भी रोज-रोज हंगामे का हवाला देकर बीच बचाव से इनकार कर दिया। बच्चे ने पुलिस को बताया कि पापा मम्मी को पीट रहे हैं उन्हें बचा लो।

बच्चे की गुहार सुन कांस्टेबल दीपक बवाड़ी उसके साथ घर गए। उसके माता-पिता का तब भी विवाद चल रहा था। इस पर कांस्टेबल दोनों को कोतवाली ले आए।

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यहां पुलिस ने पति पर कार्रवाई करनी चाही तो पत्नी एक मौका देने की गुहार लगाने लगी। कोतवाल धर्मवीर सोलंकी ने बताया कि काउंसलिंग के बाद दंपति को हिदायत देकर छोड़ दिया गया।

बच्चे मासूम होते हैं हमेशा ध्यान रखें झगड़े बच्चों पर बहुत बुरा असर डालते हैं।

मानसिक तनाव बढ़ने से असुरक्षा की भावना आती है – रोज-रोज झगड़ा देख बड़े होकर दुर्व्यवहार कर सकते हैं आए दिन के विवाद से बच्चों का व्यक्तित्व प्रभावित होता है -मानसिक विकास प्रभावित होने से पढ़ाई पर भी असर पड़ता है।

बचाव के लिए क्या करें
कोई भी विवाद होने पर माता-पिता अकेले में बात करें -सामने वाले को भी बोलने का मौका दें उसकी बात सुनें – बार-बार गलती करने की बजाय विवाद का समाधान खोजें – घरेलू विवाद की वजह से

 बच्चों को नजरअंदाज न करें

जिन परिवारों में लड़ाई झगड़ा होता है वहां बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है।

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वे हर समय तनाव में रहते हैं। ऐसे में रिश्तेदार और पड़ोसियों को बच्चों की मदद करने के साथ ही उनके परिजन से बात करनी चाहिए। बच्चों के साथ-साथ पूरे परिवार की काउंसलिंग जरूरी है।

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