देहरादून/ राजस्थान के बाद अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस में कलह शुरू हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व उतराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी से नाराज हो गए हैं और हरीश रावत 5 जनवरी को राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर सकते हैं। हरीश रावत के करीबी सूत्रों के मुताबिक वो आने वाले दिनों में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई बहुत बड़ी घोषणा कर सकते हैं। करीबी सूत्रों ने कहा कि वो आगामी विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर भी नाराज हैं।
तो क्या इसे हरीश रावत की प्रेशर पॉलिटिक्स माना जाए वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि हरीश रावत खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करवाए जाने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव ने हरीश रावत की नाराजगी को लेकर कहा कि वो सीनियर नेता हैं। उनसे हमारी बात नहीं हुई है। देवेन्द्र यादव की बातों से साफ झलकता है 2022 सायद ही हरीश रावत मुख्यमंत्री बने देवेन्द्र यादव ने कहा उनसे बात करने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा मतलब यहां भी आपसी बातचीत कम ही है।
बता दें कि इससे पहले हरीश रावत के ट्वीट से उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मच गई थी। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा था। है न अजीब सी बात चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है। सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। असलियत तो हरीश रावत ही जानें इसके बाद से ही अंदाजा लगाया जाने लगा था कि हरीश रावत संगठन से नाराज चल रहे हैं। हालांकि उनके विरोधी इसे उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स करार दे रहे हैं। बहरहाल, 5 जनवरी को क्या होने वाला है, ये तो हरीश रावत ही जानते हैं। लेकिन इतना भी तय है कि हरीश रावत के बिना उत्तराखंड में कांग्रेस और जायदा भी खंड-खंड नजर आएगी सायद यहां भी सरकार बनाना तो छोड़ो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ें।