रुद्रप्रयाग/ भगवान शिव को समर्पित पंच केदारों में से एक तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह वैदिक मंत्रोचार और विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली ने स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल- दमाऊं सहित बाबा तुंगनाथ के जय उदघोष के साथ प्रथम पड़ाव चोपता को प्रस्थान किया। इस अवसर पर पांच सौ से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे। बता दें कि, आज सुबह ब्रह्ममुहुर्त में भगवान तुंगनाथ के कपाट खुले गए थे। इसके बाद प्रात:कालीन पूजा-अर्चना तथा दर्शन शुरू हो गए। तत्पश्चात सुबह 10 बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की गई। बाबा तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को स्थानीय फूलों भस्म आदि से ढककर समाधि रूप दे दिया गया।
इसके बाद ठीक ग्यारह बजे पूर्वाह्न भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की देव डोली मंदिर प्रांगण में आ गयी तथा मंदिर परिक्रमा के पश्चात देवडोली चोपता के लिए प्रस्थान हुई। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि 4 नवंबर सोमवार को भगवान तुंगनाथ जी की चल विग्रह डोली चोपता प्रवास करेगी। 5 नवंबर और 6 नवंबर को चलविग्रह डोली दूसरे पड़ाव भनकुन में प्रवास करेगी। 7 नवंबर को भगवान तुंगनाथ जी की चलविग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में विराजमान हो जायेगी। इसी के साथ मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी।