चमोली/ पांच साल में चमोली में आईं तीन बड़ी आपदा जिसका केंद्र जोशीमठ रहा कई जिंदगियां भी खत्म हुई है।सात फरवरी 2021 की सुबह ऋषिगंगा के उद्गम स्थल में ग्लेशियर टूटने से भयावह बाढ़ आ गई थी इससे नदी किनारे जितने भी लोग थे वे सब बाढ़ की चपेट में आ गए। इस भीषण आपदा में 206 लोगों की मौत हुई थी। इस आपदा में ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना भी बह गई थी।
चमोली जिले ने पिछले पांच साल में तीन बढ़ी आपदाएं झेली। स्थिति यह रही कि तीनों आपदाओं का केंद्र जोशीमठ रहा। ये आपदाएं भी साल के शुरुआत में यानि जनवरी और फरवरी में घटित हुई। जिससे लोगों के मन में डर बना हुआ है।
जोशीमठ क्षेत्र आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील होता जा रहा है। यह चीन की सीमा का क्षेत्र है। सात फरवरी 2021 की सुबह ऋषिगंगा के उद्गम स्थल में ग्लेशियर टूटने से भयावह बाढ़ आ गई थी। इससे नदी किनारे जितने भी लोग थे वे सब बाढ़ की चपेट में आ गए। इस आपदा में 206 लोगों की मौत हो गई। इस आपदा में ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना बह गई थी।
दुसरी ओर एनटीपीसी की तपोवन जल विद्युत परियोजना तहस-नहस हो गई थी। इसकी डैम साइड की सुरंग पूरी तरह मलबे से भर गई और परियोजना में लगे 139 श्रमिकों की मौत हो गई। इस आपदा के जख्म भरे भी नहीं थे कि वर्ष 2023 में 7 जनवरी को जोशीमठ भूधंसाव की घटना सामने आ गई।
जलजले में आठ श्रमिकों की मौत
इस घटना ने पूरे जोशीमठ को तहस-नहस कर दिया था। जगह-जगह रहस्यमय ढंग से जमीन फटने लगी और बड़े-बड़े
होटल के साथ ही भवन झुकने लगे। इस आपदा में लगभग 300 परिवार प्रभावित हुए थे। लगभग एक साल तक लोगों ने शिविरों में राते गुजारी।
इसके बाद अब इस वर्ष 28 फरवरी को माणा हिमस्खलन ने लोगों को झकझोर करके रख दिया। दो दिन की बर्फबारी के बाद हिमस्खलन की घटना सामने आने से लोगों में डर का माहौल रहा। माणा गांव के ग्रामीणो का कहना है कि माणा क्षेत्र में हिमस्खलन की घटना आम बात है लेकिन इस जलजले में आठ श्रमिकों की मौत होना दुखदाई है।
पूरे हिमालई क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। बर्फबारी का चक्र गड़बड़ हो रहा है। जिससे हिमस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। जिन क्षेत्रों में हिमस्खलन की घटनाएं हो रही हैं उन जगहों का चिह्नीकरण करना चाहिए। वहां मानवीय गतिविधियां कम से कम हों और यहां कैंप लगाने की अनुमति बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए एसपी सती भू वैज्ञानिक