उत्तराखंड का राज्य पुष्प बुरांश अप्रैल के बजाय दो महीने पहले फरवरी में खिलने लगा, ग्लोबल वार्मिंग पर पर्यावरणविदों ने जताई चिंता।

न्यूज 13 प्रतिनिधि देहरादून

देहरादून/ उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में उत्तराखंड का राज्य पुष्प बुरांस और फ्यूली या फ्योंली के फूलों का समय से पहले खिलना एक गंभीर पर्यावरणीय विषय बनता जा रहा है। हर वर्ष की भाति इस बार भी बुरांस के फूल फरवरी महीने में ही खिलते हुए दिखाई देने लगे हैं। वनस्पति वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह सब हो रहा है।

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इससे प्राकृतिक चक्र में असामान्य बदलाव देखे जा रहे हैं। एक ओर इन फूलों का खिलना लोगों के लिए खुशी की बात है तो वहीं वनस्पति वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए यह चिंता का विषय है। क्योंकि यह पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत हो सकता है।

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बुरांस और फ्यूली के फूल आमतौर पर गर्मी के मौसम में खिलते हैं परन्तु कुछ वर्षों से यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि ये फूल फरवरी महीने में ही खिलने लगे हैं। यह वनस्पतियों पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है जो प्राकृतिक तंत्र को बाधित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चलते पौड़ी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम के बदलने के कारण इस बार बर्फबारी में भी कमी देखी जा रही है और इस साल ठंड भी अपेक्षाकृत बहुत कम महसूस की गई है। यह स्थिति वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए एक चिंता का विषय बन रही है।

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पौड़ी में पहले जहां सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी होती थी अब इसमें भी कमी आ रही है। बर्फबारी का घटना न सिर्फ पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित कर रहा है बल्कि क्षेत्र की जलवायु, कृषि और जल स्रोतों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बर्फबारी से मिलने वाला पानी गर्मियों के दौरान जल स्रोतों को भरता था जिससे खेती की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलता था। अब इस पानी की कमी का असर गर्मियों में स्थानीय जीवन और कृषि पर साफ दिखाई देने लगा है।

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