हरिद्वार/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस०टी०एफ० ने किया तकनीक के साथ मैनुवल पुलिसिंग का मेल- 20 साल से फरार ईनामी डकैत को किया गिरफ्तार।कोतवाली हरिद्वार क्षेत्र के अंतर्गत वर्ष 2004 में इलाहाबाद बैंक में डकैती कर फरार हुए इस अपराधी पर था 01 लाख रुपए का इनाम घोषित। उत्तराखण्ड एसटीएफ ने तमिलनाडु से 01 लाख रुपए के ईनामी डकैत को किया गिरफ्तार। पकड़े गए डकैत के साथी टीपू की वर्ष 2005 में हरिद्वार पुलिस से पुलिस मुठभेड़ में मौत हो चुकी है।
उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार द्वारा उत्तराखण्ड में खतरनाक एवं कुख्यात अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश एसटीएफ उत्तराखण्ड के अलावा अपने सभी मातहतों को निर्गत किए गए हैं। जिसके अनुक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा अपनी टीमों को सभी वांछित व कुख्यात अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए निर्देश निर्गत किए गए थे। इसी क्रम में चन्द्रमोहन सिंह अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ एवं आर०बी० चमोला पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ द्वारा अपने नेतृत्व मे एसटीएफ की टीमों के साथ कुशल रणनीति अपनाकर सर्विलान्स और मैनुवल पुलिसिंग के साथ वांछित एवं ईनामी अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर रही है। जिसके फलस्वरूप विगत कई सालों से फरार उत्तराखण्ड राज्य के पुराने वांछित कुख्यात अपराधियों को पकड़ने में सफलता प्राप्त हुई है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह के मुताबिक वर्ष 2004 में हरिद्वार में इलाहाबाद बैंक में बड़ी बैंक डकैती पड़ी थी जिसमें तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (वर्तमान पुलिस महानिदेशक) अभिनव कुमार द्वारा सभी बैंक डकैतों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही कराई गयी थी। जिसमें से एक बदमाश टीपू यादव इस घटना के लगभग एक माह बाद ही पुलिस मुठभेड़ में हरिद्वार पुलिस द्वारा मार गिराया गया था। इस घटना में शामिल एक वांछित अपराधी उदय उर्फ विक्रांत पुत्र विंदेश्वर ग्राम खेरकैमा जिला पटना बिहार तब से लगातार वांछित चल रहा था व पुलिस के डर से कहीं छिप गया था। जिसे जनपद पुलिस द्वारा ढुढ़ने के काफी प्रयास किए गए थे यहां तक कि इस अभियुक्त के घर की कुर्की तक की गयी थी परन्तु इसकी गिरफ्तारी नही हो पायी थी। जिस पर पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड द्वारा इस डकैत की गिरफ्तारी के लिए 01 लाख रुपए का ईनाम की घोषणा की गयी थी।
एसटीएफ टीम द्वारा कुशल व सटीक रणनीति बनाकर अपने मैनुअल मुखबीर तंत्र की मदद से इस डकैत के बारे में सूचना प्राप्त हुई यह ईनामी अपराधी तमिलनाडु में कहीं पर छिपकर रह रहा है जिस पर एसटीएफ की टीम उपनिरीक्षक विद्या दत्त जोशी के नेतृत्व में जनपद वेल्लोर, तमिलनाडु भेजी गयी वहा पर इस टीम द्वारा अथक मेहनत से इस वांछित अपराधी के बारे में सूचना एकत्रित कर गिरफ्तारी की गयी है। अभियुक्त को गिरफ्तार कर कोतवाली हरिद्वार में दिनांक 19-10-2024 को दाखिल किया गया है।
घटना का विवरण-वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 17.12.2004 को लगभग 02:20 दिन में इलाहाबाद बैंक हरिद्वार में 04 से 05 बदमाश तमंचे लेकर घुसे तथा सभी स्टॉफ को बन्धक बनाकर बैंक हॉल में कब्जे में ले लिया और हेड कैशियर व प्रबन्धक परिचालन को तमंचा दिखा कर चाबी लेकर बदमाश-कैश स्ट्रांग रूम मे गये और हेड कैशियर के केबिन से व स्ट्रांग रूम से कुल रू
961950-00 (रू नौ लाख इकसठ हजार नौ सौ पचास
मात्र) दो बैग में भरकर ले गये और जाने से पहले बदमाशों
द्वारा सभी कर्मचारियों को बैंक के स्ट्रांग रूम में गेट बन्द
करके चले गए। जिस पर कोतवाली नगर जनपद हरिद्वार में मुकदमा अपराध संख्या 810/04 धारा 395 भा०द०वी० पंजीकृत किया गया। दिन दहाड़े हुई इस डकैती की घटना को हरिद्वार जिले के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिनव कुमार (वर्तमान पुलिस महानिदेशक) द्वारा बड़ी गम्भीरता से लेते हुए घटना का त्वरित अनावरण किया गया। इस घटना में शामिल इस गिरोह का सरगना मुख्य अभियुक्त टीपू यादव पुत्र स्व० प्रयाग यादव निवासी दिगहा पटना विहार को हरिद्वार पुलिस द्वारा घटना के लगभग एक माह बाद ही पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
इस घटना में शामिल 04 अन्य अभियुक्तों को हरिद्वार पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका था परन्तु उदय उर्फ विकान्त तभी से फरार चल रहा था। जिसकी गिरफ्तारी के लिए अब तक काफी प्रयास किये जा चुके थे।
गिरफ्तार किये गये अभियुक्त का नाम-1. उदय उर्फ विक्रांत पुत्र विंदेश्वर निवासी ग्राम खेरकैमा जिला पटना बिहार
गिरफ्तार अभियुक्त से पूछताछ अभियुक्त ने पूछताछ पर बताया कि उसने हरिद्वार में बैंक डकैती की घटना से पहले बिहार में पटना क्षेत्र से एक व्यक्ति रविन्दर उर्फ अरविंद को फिरौती के लिये अपहरण किया था जिसके बाद वह वर्ष 2004 में हरिद्वार आ गया था। यहां पर उसने जूस की ठेली लगायी और अपने साथियों के साथ इलाहाबाद बैंक में डकैती की योजना बनाकर घटना को अंजाम दिया था। बैंक डकैती में अपने साथी टीपू यादव के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पकड़े जाने के डर से अपना भेंस बदलकर अपने भाई पवन कुमार के साथ विशाखापट्टनम में चला गया था। वहा फुटपाथ पर कपड़े की ठेली लगाकर जीवन यापन करने लगा।