संयुक्त किसान मोर्चा के ‘‘लोकतंत्र बचाओ खेती बचाओ’’ के आह्वान पर तहसील परिसर रामनगर में विभिन्न सामाजिक व राजनैतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सांकेतिक धरना दिया और सभा की।

NEWS 13 प्रतिनिधि हल्द्वानी:-

संयुक्त किसान मोर्चा के ‘‘लोकतंत्र बचाओ खेती बचाओ’’ के आह्वान पर तहसील परिसर रामनगर में विभिन्न सामाजिक व राजनैतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सांकेतिक धरना दिया और सभा की। सभा के बाद एसडीएम महोदय के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा और कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गयी।

ज्ञापन में कहा गया कि पिछले 7 माह से देश के किसान अपनी मांगों-कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी करने की मांग- को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं। वे ठंड, गर्मी, बरसात की मार झेलते हुए शांतिपूर्वक अपने देश की सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि जो कृषि कानून 2020 में संसद से पास कराये गये हैं, वे उनके खिलाफ हैं, अतः उनको रद्द किया जाये।

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि किसानों की हितैषी कहलाने वाली सरकार से किसान कह कर रहे हैं कि उनका भला कृषि कानूनों से नहीं बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की सरकार द्वारा गारण्टी करने से होगा। सच्चाई यह है कि भारत में बड़ी संख्या में छोटे-मझोले किसान मौजूद हैं जो औन-पौने भाव में आढ़तियों को अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं।

अगर केन्द्र सरकार उनकी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की उचित व्यवस्था करे तो उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सकता है। लेकिन कृषि कानूनों को लागू कर सरकार ऐसा करने के बजाय न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी मण्डियों की व्यवस्था खत्म करने जा रही है जो हमारे देश के किसानों के हित में नहीं है। साथ ही इन कानूनों में इस बात की व्यवस्था की गयी है कि देश के खाद्यान्न और खेती पर कारपोरेट पूंजी का अधिकार हो जायेगा।

पूंजीपतियों द्वारा खाद्यान्न को भण्डारण करने के लिए बड़े-बड़े गोदाम बनाना भी इस बात को साबित करता है। साथ ही सरकारी एफ सी आई गोदामों को भी सरकार खत्म करने के विचार में है जिसके कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर खतरा मंडरा रहा है जो अपनी तमाम कमियों के साथ आज भी देश के गरीबों के लिए जीवन रेखा बनी हुयी है।

वक्ताओं ने कहा कि 26 जून 1975 को लगाये गये आपातकाल की वर्षगांठ पर किसान आंदोलन ने ‘‘लोकतंत्र बचाओ खेती बचाओ’’ का आह्वान किया है। आज लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुयी सरकार देश में लोकतंत्र को खत्म करने में लगी हुयी है। जहां एक तरफ संघर्षशील लोगों को झूठे केसों में फंसा लोकतांत्रिक आंदोलनों व संघर्षों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही हैं वहीं समाज को दो भागों में बांटने की साजिश रची जा रही है। 26 जून 1975 को देश में घोषित आपातकाल लगाया था लेकिन आज अघोषित तरीके से आपातकाल देश में थोपा जा रहा है।

सभा में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने किसानों के आंदोलन को पुरजोर समर्थन देने की बात की। सभा में इंकलाबी मजदूर केन्द्र से पंकज, गोविन्द, पछास से चंदन और मुकेश, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी से प्रभात ध्यानी, लालमणि, किरन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र से तुलसी छिमवाल, शीला शर्मा, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन से कमला रावत, देवभूमि विकास मंच से मनमोहन अग्रवाल, मनिन्दर सिंह सेठी, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी रईस अहमद, और योगेश सती, किसान संघर्ष समिति से ललित उप्रेती, कौशल्या, सरस्वती जोशी, दीपक मैसी,  एस विष्ठ आदि मौजूद रहे।

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