पहाड़ में अपने गीतों के माध्यम से हमेशा जिन्दा रहेंगे हीरा सिंह राणा पिछले वर्ष आज ही के दिन सबको अलविदा कह गए थे हिरदा।

NEWS 13 प्रतिनिधि अल्मोड़ा:-

उत्तराखंड के महान गीतकार, गायक, संगीतकार, जनकवि, आंदोलनकारी के साथ समाजिक जीवन की और भी कई चिरस्थाई भूमिकाएं निभा गए उत्तराखंड के प्यारे ‘हिरदा’ की आज पहली पुण्यतिथि है। ठीक एक साल पहले आज ही के दिन अचानक से हिरदा ने हम सब को अविदा कह दिया था। उनकी पहली पुण्यतिथि पर उनको अपने अंदाज में याद कर रहे हैं उत्तराखंड के जन सरोकारों के लिए निरंतर संघर्ष करते आए वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी। दरअसल जिस विराट व्यक्तित्व के हीरा सिंह राणा जी थे स्वाभाविक है उनके बारे में लिखने वाली कलम भी उतनी ही दमदार होनी चाहिए। बहरहाल उनकी स्मृतियों को चारु दा ने अपनी फेसबुक वॉल पर साझा किया है। हमने इसे वहीं से साभार लिया है।

“आज हम सबौंक प्रिय गिदार हीरा सिंह राणा ज्यूक पैल पुण्यतिथि (13 जून, 2020) छू। हीरासिंह राणज्यूकं उनार कुछ गीतों लं याद करनूं जो हम सबौंक सामूहिक पीड़ छन।

1.हिरदी की पीड़ कै लै निं ज्यांणीं,

द्यौखौ जबुलैं आंखोंक पांणी।

चड़न सूरज कणि अरग चड़ानी,

बड़नी डाई कैंणि पांणि प्यवानी।

निघर्याई रात कैल नि देखीं,

चायौ सबुलै राती उल्याणीं।। द्यौखौ जबुलैं…।।

लग-पलगा कतू दुनियं लगैंछ,

झुटि तिताई लगै मन कसी कैंछ।

तू म्यौर मैं त्यौर कौंण हौं सैज,

सारी उमर भरि धौ हैं निभाणी।। द्यौखौ जबुलै…।।

घाम् छनै अन्यार द्यौख हमुलै,

पाउ-पोशू हम गरदिशु लै।

हैंसैं हैं कौं हैंसु कसिका,

बिपति लै पाडौ रुणैंकि बांणी।। द्यौखौ जबुलै…।।

जैकि ठुलि आस कै बीलै लात मारीं,

फिरि लै बणंू वीकै लातै पुज्यारी।

कैंकैं लगौ औङाई कैंकी कौ रीस,

अपणुलै ध्वक दी पर्या क्या सिमाणी।। द्यौखौ जबुलै…।।

पीड़िक निछड़ी चाड़ौ हैंसी हात थाकी,

सरबरी उमर रैंगे लागिया रै बांकी।

ढुङि हया आंख्युक चैपौंम आंस,

कबलै मिनणौं कि साबई चलाणी।। द्यौखौ जबुलै…।।

झड़िया पतेल जस रहया उड़ानैं,

ढाकयौं चार सौ ड्यरा बनानैं।

उड़ पड़ ठड़ी लौटीं यसीकै-यसीकै,

कां बै कां गय अहा! कै नि पछयाणी।। द्यौखौ जबुलै…।।

मन पत्यायौ फुकपन जे लै होय,

फिरि लैं दुनि कैं असन्तौषै रौय।

ज्यौंन्नैं लिकारौ कौय जो यौ नि मरौंनौं,

मरि बे लिजंणैं हैगे रीत पुराणी।। द्यौखौ जबुलै…।।

2. भिड़च्याप में हरैगे

मनखै मन्ख्योव,

आब चांणौ

जब जांणौ क्वे ब्वौया

ठोकरां पारि

अघिल,

और पछिल भीड़,

मनख्योव च्यापिग्ये-

थान थापि ग्ये।

थानम् घण्टि,

कलशम झण्डि,

हातम कण्ठि,

मनखा आब निहौ,

चां छै जून खांचै खून,

माटम भैटिबै रिखड़ मारछै

कुटइ ख्येड़ि बै

बन्दूक कारंछै।

एक खुटि खूनम

छुहरि जूनम

झुल्यी रछै

पगला! भुलि गछै

फिरि लै होड़ लगांछै

अरे-

ध्रुवों कैं जाणछै?

3. बताऔ गीद कस् ल्येखूं?

यस् ल्येख कि यस् ल्येखूं?

मैंकैं सब गीद आनी हो,

कौंछा तुम जास मैं व्वस् ल्येखूं।

छैं बाणी-बाणिका गीदा,

ठुलीका-नानिका गीदा

छैं त्येपुर महलों का गीदा

छैं टुटिया छानि का गीदा

सुनाका-चांदि का गीदा

छैं फुटिया भानिका गीदा

या द्वी डबलम् जो ब्येचीगे,

रङीली ज्वानिका गीदा।

या ज्यौनारक् ल्हिजी ब्येची-

जो ऊ थानोंक् कलश ल्येखूं?

बताऔ गीद कस् ल्येखूं?

क्वे एका कुण पना भै बटि

जो गणैं हैं सांस जै ल्येखूं?

या जौं कौ मोल क्ये न्हैंतिन

उं आंख्योंक आंस जै ल्येखूं?

यूं धौ खाण पुर्याण है रयीं जो

रुपैनूकि रास जै ल्येखंू?

गरीबा मरि गयौ भूकैल,

मैं व्वी की लास जै ल्येखूं?

या नाङड़ि लास बिन् कफनैं

नि आय कै कैं तरस ल्येखूं?

बताऔ गीद कस् ल्येखूं?

मैं गीदा हंसुलिका ल्येखूं,

कि नाखैकि नथुलि का ल्येखूं?

या ल्येखूं टिक-चर्यौ धागुलि,

कि झड़िया बिन्दुलिक ल्येखूं?

या गाजनि मुरुलि कैं सुणि बेर

नाचनि रधुलि कैं ल्येखूं,

कि ल्येखूं हियैकि चस्साक,

या मन्खोंक मन् बिबस ल्येखूं?

बताऔ गीद कस् ल्येखूं?

यौं गीद ग्वाव गानी डान्यूम,

यौं गीद चुलि-चूल्यौंक छैं हो।

यौं गीद छ्वर-मुया गानी,

यौं गीद दिदि-भुल्यौंक छैं हो

यौं गीद कौतक्यरां भौंणनी

यौं गीद झुल्यी फूल्याौंक छैं हो।

छैं गीद व्वीक लै जैका

रब्बरन जगिया छिलुक छैं हो।

मैं ल्यखुनूं हैंसिका खित्क्र,

बगन आंख्यौंक् रस ल्यूखंू?

बताऔ गीद कस् ल्येखूं?

हिकव हुन थुपुड़ गीदोंक छैं

क्ये ल्येखूं बांचणी क्वो छा?

टुकुड़ ज्ास छ्वोड़ि दिया कौंनी

टुकुड़ कैं छांटणी क्वो छा?

लगै द्युल रास गीदों की-

भलस्यौ सम्जणी क्वो छा?

धरौ क्वे हियैकि चाइणि में

पै चाव्वौ चावणी जो छा।

नि हैं यौं गीद पुर कभ्भैं

चुम्म ल्येखूं या झस्स ल्येखूं

बताओ गीद कस् ल्येखूं?

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