


NEWS 13 प्रतिनिधि देहरादून:-
उत्तराखंड के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज के देवस्थानम बोर्ड को बनाए रखने के बयान से गढ़वाल के तीर्थ पुरोहितों का गु्स्सा सातवें आसमान पर है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने भूतपूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत द्वारा लाए गए देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने का आश्वासन दिया था। त्रिवेन्द्र रावत ने जबरदस्त विरोध के बावजूद बद्रीनाथ व केदारनाथ, यमनोत्री व गंगोत्री समेत 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लेने वाले देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी। मार्च में त्रिवेन्द्र के बदले सीएम बने तीरथ रावत ने जनता का मूड भांपते हुए बोर्ड के अधीन मंदिरों को हटाने की बात कही थी लेकिन अब धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे धाम पहले टैम्पल बोर्ड कमेटी में थे अब देवस्थानम का हिस्सा हैं इसमें नया क्या है।
देवस्थानम बोर्ड कानून के तहत गठित हुआ है। कानून के जानकार बताते है कि बोर्ड को यूं ही वापस नहीं लिया जा सकता है ये बात जब सरकार के समझ में आई तो मंत्री सतपाल महाराज के सुर बदल गए और इसके बीच विपक्षी कांग्रेस को मौका मिल गया है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार में तालमेल नहीं है, मुख्यमंत्री कुछ बोलते हैं और उनके मंत्री कुछ और बोलते हैं।
सतपाल महाराज यहां तक कहते हैं कि मुख्यमंत्री को पहले के देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूरी जानकारी नहीं थी। सीएम समझते थे कि चारोधामों के अलावा भी अन्य मंदिर इसमें शामिल हैं पर्यटन मंत्री का कहना है कि ये मंदिर बद्रीनाथ केदारनाथ परिसर के ही मंदिर हैं। ये बात सीएम को स्पष्ट कर दी गई है हालांकि वो साथ में ये भी जोड़ते हैं कि अंतिम फैसला तो मुख्यमंत्री को ही लेना है।
उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड का विरोध इतना बड़ गया कि बीजेपी के कद्दावर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने त्रिवेन्द्र सरकार को कोर्ट में घसीट दिया था वहीं सीएम तीरथ ने जब बोर्ड को लेकर पुनर्विचार की बात कही तो उनके बयान को हाथों हाथ लिया गया।






