


NEWS 13 प्रतिनिधि सोमेश्वर:-
सोमेश्वर बोरारो घाटी में धान की पौध तैयार कर काश्तकार महिलाएं रात दिन मेहनत कर खेतों मे धधकती गर्मी मे धान की पौध निकाल रोपण कर रही है। बोरारो घाटी धान फसल के मसहूर घाटी है। काश्तकारों द्वारा खेत में पानी भरकर बैलों द्वारा खेत को बराबर कर उसकी घास को निकाल कर लोहे व लकड़ी के दनाली से खेत को समतल भूमि बनाकर तैयार कर कार्य करते हैं। महिलाये धान की पौध निकालकर मंगल गीत गाकर धान के पौधों को रौपण करती है। बोरारो घाटी धान की फसल की मशहूर घाटी है। धान की फसल काफी अच्छी होती, रोपाई के बाद कुछ महीनों लहलहाते खेत सौन्दर्य से खिल खिलाते नजर आते लेकिन आज वर्तमान समय में काश्तकार कड़ी कमर तोड मेहनत करने के बाद जंगली सुअर बन्दरो के खौफ से परेशान हैं।
इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद जंगली सुअर फसलों को बर्बाद कर देते हैं। काश्तकार दिन-रात मेहनत करता है। काश्तकारों का कहना प्रत्येक ग्राम सभाओं में मनरेगा योजना के तहत इनके देख के लिये चौकीदार रक्खे जाय जिससे काश्तकारों को निजात मिल सकती है। बोरारो घाटी में पूर्व में हजारों कुंटल धान पैदावार होती थी जो आज जंगली जानवरों के खौफ से अधिकांश उपजाऊ भूमि बंजर होने के कगार पर है। पहले खेती बैलों से जोत कर की जाती थी जो आज ट्रैक्टरों से जुताई की जा रही है। सरकार से काश्तकारो ने जंगली जानवरों के नुकसान बचाव के समस्त बोरारौ धाटी के गांवों में मनरेगा योजना के अंतर्गत चौकीदार रक्खे जाने की मांग की जिससे सभी क्षेत्रों की बंजर भूमि लहराती नजर पुनः आयेगी।






