


NEWS 13 प्रतिनिधि कैलाश सिंह पिथौरागढ़:-
मदकोट (पिथौरागढ़): उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पर्यटन को पंख लगाने की जितनी मर्जी दावा कर ले लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इन मनसुबो पर ‘मलबा’ फेरते रहते है। पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी क्षेत्र में पड़ने वाले मदकोट में कुमाऊं मंडल विकास निगम के पर्यटक आवास गृह का मलबा तीन साल बाद भी साफ नहीं किया है। जिस कारण गेस्ट हाउस वीरान पड़ा है। जबकि उत्तराखंड सरकार और स्थानीय उद्यमियों ने इस क्षेत्र में पर्यटन के विकास के लिए कई कोशिसें की हैं। उत्तराखंड सरकार ने मुन्स्यारी में प्रसिद्ध ट्यूलिप गार्डन भी बनवाया है। लेकिन जब कुमाऊं मण्डल विकास निगम के गैस्ट हाउस मे रहने की सुविधाओं की जगह मलबा घुसा रहेगा तब क्या हस्र होगा पर्यटन का सरकार को इस पर विचार करने की सख़्त आवश्यकता है।
मुनस्यारी विकासखंड का मदकोट क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है। यहां पर दो प्राकृतिक गर्म जल कुंड हैं। इन कुंडों में नहाने का लुफ्त उठाने लिए अक्सर पर्यटक यहां आते रहते हैं। पर्यटकों की संख्या को देखते हुए ही केएमवीएन ने मदकोट में टीआरसी बनाया था। वर्ष 2018 में आई भीषण आपदा में यहां मलबा आ गया था। तबसे टीआरसी के प्रथम तल में चार फीट तक मलबा भरा पड़ा है। बड़े अचरज की बात है कि तीन साल बाद भी इस मलबे को नहीं हटाया गया है। पूरा टीआरसी मलबे से पटा पड़ा है। टीआरसी मुनस्यारी के प्रबंधक एसडी भट्ट के मुताबिक मदकोट टीआरसी में आपदा से हुए नुकसान की सूचना उच्चाधिकारियों और तहसील प्रशासन को भी दी गई थी। इधर जिला पर्यटन अधिकारी अमित लोहनी ने बड़ी गहरी बात की वो यह कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक आवास गृहों का सुव्यवस्थित होना आवश्यक है। मदकोट टीआरसी में भरे मलबे को हटाकर इसका सुधार करने के प्रयास किए जाएंगे। हद है अफसर तीन साल बाद भी प्रयास की बात कर रहे हैं। और टीआरसी मदकोट अपनी दुर्गत पर खुद ही आंसू बहा रहा है।
गोरी नदी के किनारे चार करोड़ की लागत से 7 वर्ष पूर्व शानदार पर्यटक आवास गृह बनाया गया था। हालांकि नदी के किनारे इसके निर्माण पर क्षेत्रवासियों ने सवाल खड़े करते हुए इसे आपदा की दृष्टि से असुरक्षित भी बताया था लेकिन शासन प्रशासन ने इस ओर भी कतयी ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2018 में आई आपदा में पर्यटक आवास गृह मलबे से पट गया। इसके बाद हरकत में आए विभाग ने भवन में रखे गए बेड और अन्य सामग्रियां तो वहां से हटा ली लेकिन भवन को लावारिस हालत में ही छोड़ दिया। वर्ष 2018 से इसका संचालन बंद कर दिया गया। भवन की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं होने से अराजक तत्वों ने भवन की शीशे दरवाजे तक तोड़ डाले है। भवन धीरे-धीरे जर्जर हो रहा है।






