कोरोना टेस्ट शिविर से ग्रामीणों ने दूरी बनाकर रखी, यदि वर्तमान में बुखार से पीड़ित भविष्य में कोरोना संक्रमित पाया गया तो जिम्मेदारी किसकी, जागरूकता की कमी व भ्रांतियों के कारण बेरंग हुआ कोरोना टेस्टिंग शिविर।

NEWS 13 प्रतिनिधि देवेश आदमी, रिखणीखाल:-

आज प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र अंदर गाँव में कोरोना टेस्ट शिविर का आयोजन किया गया आयोजन हेतु क्षेत्र के अनेकों सामाजिक कार्यकर्ता जनप्रतिनिधि व बुद्धजीवी प्रशासन से गुहार लगा रहे थे। रिखणीखाल ही नहीं अपितु समूचे पहाड़ी क्षेत्रों में विगत 1 महीने से बुखार का प्रकोप बना हुआ हैं अनेकों मौते बुखार के चलते हो चुकी हैं जिस कारण चिंतनशील लोग चिंता कर रहे थे।

दुःख इस बात का हुआ कि यह रिखणीखाल ब्लॉक का प्रथम कोरोना टेस्ट शिविर था जिस में बुखार से पीड़ित सभी लोगों के आने की उम्मीद थी किंतु ऐसा नहीं हुआ। मात्र 14 लोगों ने कोरोना सैम्पल दिया। ये वे लोग थे जो वर्तमान में स्वस्थ हैं। जिन लोगों को वर्तमान में 1 हफ्ते से अधिक बुखार हैं। जो कोरोना जैसे लक्षणों से जूझ रहे हैं उन्होंने जहमत नहीं उठाई कि हॉस्पिटल में जांच कराने पहुंचे। जिस कारण समस्या जस की तस बनी हुई हैं जिन समस्याओं के निजात हेतु स्थानीय बुद्धजीवियों ने बेड़ा उठाया था वो समस्या मुहाने खड़ी हैं। जिन लोगों ने प्रशासन से कोरोना टेस्टिंग हेतु पत्र लिखा सिर्फ वही लोग आज हॉस्पिटल भी पहुचे।

ऐसे में कैसे कोरोना से लड़ा जाएगा। यदि इस तरह चलता रहा तो ज़िम्मेदार कौन हैं सरकारे तो अपना कार्य बखूबी कर रहे हैं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दायित्व निभाया हैं दर्द को दवा खोजनी थी किंतु दवा पहली बार दर्द के खोज में निकला और बेरंग लौट गया। लोगों को यह समझना मुश्किल हो गया कि कोरोना कितना घातक हैं। पूर्व में भी बड़ी मस्कत के बाद लोग टीका लगाने के लिए राजी हुए आज टेस्टिंग हेतु बेरुखी यह अज्ञानता को दर्शाती हैं। लोगों में कोरोना वे कोरोना रोकथाम के लिए अनेकों भ्रांतियां फैली हैं सोशलमीडिया व चंद समाचारों के माध्यम से लोग भ्रमित हैं सटीक जानकारी के अभाव में लोग आफत का बोझ झेल रहे हैं जिस कारण जागरूक लोगों का भी जीवन जोखिम में पड़ रहा हैं। स्तनिय लोगों में बहुत अफवाहों का सैलाब बन चुका हैं। कोरोना के विषय पर इतनी कहानियां चल रही हैं कि प्रत्येक पल नई घटना सुनने को मिल रही हैं हर व्यक्ति कोरोना से बचने की नई दवा का ईजाद कर रहा हैं। इन्हीं कुछ कारणों से लोगों में चंत भ्रांतियां फैल चुकी हैं।

इस में सब से बड़ी कमी जनप्रतिनिधियों की भी रही मौके पर स्थानीय ग्रामसभाओं के जनप्रतिनिधि भी नदारत रहे वे स्वयं टेस्टिंग हेतु नहीं आये न अपने ग्रामसभाओं से बुखार पीड़ित लोगों को सेंटर तक लाये। 1 दिन पूर्व सभी ग्राम प्रधानों आंगनबाडी कर्मी आशा कर्मियों को संदेश पहुंच चुका था बावजूद इस के कोई भी जनप्रतिनिधि प्रतिनिधित्व करने नहीं आया। न किसी बीमार व्यक्ति को सेंटर तक लाया गया।

सरकार को चाहिए कि लोगों को बलपूर्वक जांच के लिए सेंटर तक लाया जाए। ग्रामीणों को जीवन संकट में न डाला जाय। यदि वर्तमान में कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया तो जिम्मेदार कौन ? क्या उस व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही होगी ? लापरवाही के लिए सरकार नही जनता खुद जिम्मेदार हैं।

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