


राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के प्रफुल्ल चंद्र पंत को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया हैं पंत की नियुक्ति से उत्तराखंड में खुशी की लहर हैं। आईए एक नजर डालते हैं पंत की जीवनी पर और जानते हैं कौन है प्रफुल्ल चंद्र पंत।
पंत का जन्म 30 अगस्त 1952 को पिथौरागढ़ में हुआ था। पंत ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान की उपाधि प्राप्त की तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि प्राप्त की।
पंत ने उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सन् 1973 में बार काउंसिल उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा 1973 में चयनित होने पर उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में प्रवेश किया।
पंत ने 29 जून 2005 को नैनीताल हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश पद की शपथ ली। 2008 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 2013 में मेघालय उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्त हुए।
पंत उत्तराखंड के पहले लोकायुक्त तथा विधि एवं न्याय सचिव भी रहे हैं। 22 अप्रैल 2019 को पंत की आयोग में सदस्य के रूप में नियुक्ति हुई थी। पंत उत्तराखंड मूल के पहले व्यक्ति केरूप में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य व अब कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त हुए हैं।
29 अप्रैल 2019 को उत्तराखंड सदन नई दिल्ली में वार मेमोरियल स्मारिका के दिल्ली इकाई के सदस्यों और सहयोगियों के वितरण समारोह में पंत जी मुख्य अतिथि इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में वीसी दरवान सिंह नेगी के वॉर मेमोरियल स्कूल एवं रेल लाइन के सपने की सराहना की उन्होंने शताब्दी समारोह समिति की पहल को ऐतिहासिक बताया और अपील की कि, हमें अपने गांव के देवता मंदिर की पूजा के साथ सरस्वती की मंदिर की भी पूजा करनी चाहिए । उन्होंने बताया कि उनके पिताजी जोशीमठ जीआईसी में प्रधानाचार्य थे।









ये बड़े गोरव की बात हे की पिथौरागढ़ मूल के श्री प्रफुल्व पन्त जी rastiya manav अधिकार के कार्यकारी अध्यक्ष बने, श्री पन्त के विगत कार्यों को देखते हुये लगता हे वो इस पद के लिये सर्वज्ञ उपयुक्त हे भगवान से उनके कल्यान की कामना करता हू