


अल्मोड़ा:- 21 अप्रैल सरकार की लापरवाही कहें या फिर बदइंतजामी उत्तराखंड में वर्ष 2007 में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत लोनिवि निर्माण खंड 2 के नाम से उत्तराखंड में दो नए सर्किल व आठ नए डिवीजन खोले गए। लोनिवि निर्माण खंड 2 के नाम से संचालित इन डिवीज़नों का कार्य लोनिवि निर्माणाधीन मोटर मार्ग का चौड़ीकरण व डामरीकरण का कार्य पूरा कर उन्हें मूल डिवीजनों को हस्तांतरित करना था लेकिन बीते 13 अप्रैल को प्रदेश शासन द्वारा लोनिवि एडीवी के उत्तराखंड में स्थित दो सर्किल कार्यालयों के साथ 8 डिवीजनों को भी बंद कर दिया गया है।
शासन के इस फैसले के बाद एडीबी के पिथौरागढ़ व टिहरी सर्किल ऑफिस को बंद करने के साथ ही एडीवी निर्माण खंड 2 के देहरादून, गौचर, पौड़ी, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, बागेश्वर, दुगड्डा, पौड़ी के डिवीजनों को भी बंद कर दिया गया है। बंद किए गए दो सर्किलों व आठ डिवीजनों में 100 से अधिक कर्मचारी व अधिकारी तैनात थे। इन सर्किलों के बंद हो जाने के बाद इनमें कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों पर अब समायोजन की तलवार लटक पड़ी है। बंद हो चुके इन डिवीज़नों व सर्किल के अधिकारियों को अब आशंका सता रही है कि विभाग अब उनका समायोजन लोनिवि के किस डिवीजन व सर्किल तथा प्रदेश के किस जनपद में उनकी तैनाती होगी इसे लेकर कर्मचारियों में संशय बना हुआ है डिवीजन व सर्किल टूटने के बाद जहां इन विभागों में तैनात अधिकारियों की आहरण-वितरण की पावर खत्म हो गई है।
वहीं इन कर्मचारियों को फिलहाल वेतन वहां से मिलेगा इसे लेकर भी कर्मचारियों में संशय बना हुआ है। अब प्रश्न उठता है कि यदि इन डिवीज़नों को बंद ही करना था तो फिर उन्हें खोला क्यों गया। जो काम यह डिवीजन कर रहे थे उन्हें तो लोनिवि का कोई भी डिवीजन कर सकता था। वर्ष 2007 से मार्च 2021 तक संचालित किए डिवीजनों व सर्किलों में कार्यालय किराया, गाड़ी घोड़ा कार्यालयों के संचालन में करोड़ों रूपया किस उद्देश्य के लिए पानी के भाव बहाया गया। यह सब प्रश्न कई सवाल खड़े करते हैं तथा इसे सरकारी धन के दुरुपयोग के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता। प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा बारी-बारी से सत्ता में रही है लेकिन इन 8 डिवीजनों व दो सर्किलों को बंद करने के फैसले पर अब तक किसी भी राजनीतिक दल की कोई प्रतिक्रिया न आना भी उन्हें कठघरे में खड़ा करता है क्योंकि बेवजह खोले जा रहे डिवीजनों में जहां अधिकारियों, कर्मचारियों की फौज खड़ी की जा रही है। वहीं इन्हें बंद कर फिर प्रभावित कर्मचारियों, अधिकारियों के समायोजन पर दिक्कतें आनी स्वाभाविक है जिसे देखने वाला कोई नहीं है।








