रामनगर/ यहां परिवहन विभाग की लापरवाही ने एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है। सड़कों पर दौड़ती बसों में यात्री सुरक्षा के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मर्चुला हादसे जैसी भयानक घटना के बाद कुछ समय के लिए विभाग सक्रिय दिखाई दिया अब स्थिति वही पहले जैसी हो चुकी है। नियमों के पालन का दिखावा तो हुआ लेकिन विभाग ने फिर से अपनी आंखें मूंद ली हैं।
रामनगर की सड़कों पर दौड़ रही बसों में क्षमता से अधिक सवारियां ठूंसी जा रही हैं। न केवल बसों के अंदर बल्कि यात्री खिड़कियों पर लटककर सफर कर रहे हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन इतना बढ़ चुका है कि लगता है जैसे कोई इस पर नजर रखने वाला ही नहीं है। परिवहन विभाग के एआरटीओ शायद यह सब देख ही नहीं पा रहे या फिर जानबूझकर इसे नजर अंदाज कर रहे हैं।
मर्चुला हादसा न जाने कितनी जिंदगियां निगल चुका था जिसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने सख्त एक्शन लिया था और कई अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। परन्तु उस एक्शन का असर कुछ ही दिनों तक देखने को मिला। अब एक बार फिर से वही पुरानी स्थिति लौट आई है जिसमें बस संचालकों को अपनी मनमर्जी से बसें चलाने की खुली छूट मिल गई है।
बस संचालकों की लापरवाही और विभाग की चुप्पी के चलते हर दिन सड़क पर मौत का खतरा मंडरा रहा है। क्या परिवहन विभाग अब भी इस खतरे को नजरअंदाज करेगा या फिर एक और हादसे के बाद नींद से जागेगा यह खामोशी और लापरवाही जब तक जारी रहेगी तब तक सड़क पर मौत का यह खेल कभी खत्म नहीं होगा। अब समय आ गया है कि जनता की आवाज बनकर इन अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई जाए।