देहरादून/ उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन के बीच ग्राम पंचायतों में बढ़ी मतदाताओं की संख्या कुछ राहत देने वाली तो है। हरिद्वार को छोड़कर राज्य के अन्य 12 जिलों में मई में संभावित पंचायत चुनाव के दृष्टिगत राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों की मतदाता सूची का पुनरीक्षण कराया। इसके बाद जारी अनंतिम सूची में 47,32,387 मतदाता शामिल किए गए हैं।
मतदाताओं की यह संख्या पिछली बार की तुलना में 4,17,727 अधिक है। आयोग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में हुए पंचायत चुनाव में मतदाताओं की संख्या 43,14,660 थी। यही नहीं अभी भी जो नाम छूट गए हैं या त्रुटिपूर्ण हैं उनमें सुधार का मौका भी दिया गया है। मतदाता सूची में सुधारीकरण के लिए विशेष अभियान चल रहा है।
राज्य गठन के बाद से ही हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अन्य जिलों के साथ नहीं होते। हरिद्वार के चुनाव उत्तर प्रदेश के साथ होते आ रहे हैं। वहां पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2022 में हुए थे। शेष 12 जिलों में पिछले वर्ष दिसंबर में पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद इनमें प्रशासक नियुक्त कर दिए गए थे।
इसके साथ ही इनमें पंचायत चुनाव के दृष्टिगत ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन व परिसीमन त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन पूर्ण हो चुका है। पंचायतों की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण हो चुका है और अब इनमें सुधार का कार्य जारी है।
12 जिलों की पुनरीक्षित अनंतिम मतदाता सूची पर नजर दौड़ाएं तो छह साल में ग्राम पंचायतों में मतदाताओं की संख्या 9.68 प्रतिशत बढ़ी है। पलायन से सर्वाधिक प्रभावित पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में मतदाता बढ़े हैं। आंकड़ों को
देखें तो पिछली बार की तुलना में इस बार 14 ग्राम पंचायतें भी बढ़ी हैं। वर्ष 2019 में 12 जिलों में 7485 ग्राम पंचायतें थी जो अब बढ़कर 7499 हो गई हैं।
चार जिलों में 10 से 18 प्रतिशत तक की वृद्धि
राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार देहरादून, नैनीताल, उत्तरकाशी व ऊधम सिंह नगर जिलों में 10.45 से 18.07 प्रतिशत तक के बीच मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है।
अन्य आठ जिलों में 5.19 प्रतिशत से लेकर 9.68 प्रतिशत तक मतदाता बढ़े हैं।
सुधारीकरण को जारी है विशेष अभियान
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार के अनुसार हरिद्वार को छोड़ अन्य जिलों में पंचायतों की मतदाता सूचियों में सुधार के लिए अभी विशेष अभियान जारी है। इसके पूरा होने पर मतदाताओं की संख्या में और वृद्धि संभव है।