अल्मोड़ा बस हादसे का सबसे बड़ा खलनायक निकला लोकनिर्माण विभाग दो साल पहले दिए थे 7 करोड़ रुपए मिलने के बाद भी सेटिंग गेटिंग वाला ठेकेदार न मिलने के कारण लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने लटकाए रखा क्रैश बैरियर का काम।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि अल्मोड़ा

अल्मोड़ा/ बस हादसे के लिए लोक निर्माण विभाग सबसे बड़ा खलनायक बनकर सामने आ रहा है अल्मोड़ा के मार्चुला में 2 साल से क्रैश बैरियर नहीं बनाए गए जबकि 2 साल पहले इसके लिए 7 करोड़ रुपए दिए गए थे परन्तु लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारी इसका टेंडर कराने के लिए सेटिंग गेटिंग के फेर में पड़े रहे। पहले टेंडर हुए तो चुनाव आचार संहिता के कारण टेंडर रद्द करने पड़े। उसके बाद कोई चहेता ठेकेदार नहीं मिला तो फिर लोक निर्माण विभाग बजट होने के बावजूद क्रैश बैरियर लगाने का कार्य लटकाता रहा। विभागीय उच्च अधिकारियों के मौखिक निर्देशों पर यह टेंडर बिना कारण के निरस्त कराए जाते रहे। इसके विषय में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि लगभग हर टेंडर के दौरान सात-आठ सक्षम ठेकेदारों के भाग लेने के बावजूद किसी ठेकेदार से बात न बनने के चलते टेंडर निरस्त कर दिए गए।

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यहां तक कि इन टेंडरों में तकनीकी बिड तक नहीं खोली गई। जाहिर है कि ज्यादा ठेकेदारों द्वारा टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के चलते सेटिंग गेटिंग की बात नहीं बन पाई इसलिए टेंडर बिना तकनीकी निविदा खोले हुए ही निरस्त कर दिए गए। कई जगह से टूटी फूटी इस सड़क पर कहीं भी पैराफिट तथा क्रैश बैरियर नहीं है जिसके कारण इस हादसे ने इतना भयानक रूप ले लिया।

मुख्यमंत्री के सख्त तेवर नप सकते हैं पीडब्ल्यूडी अधिकारी 

 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अब इसको लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है और इसकी जांच बिठाई है मुख्यमंत्री धामी ने क्रैश बैरियर नहीं लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों और इसके कारण की जांच करने के साथ ही लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी कार्मिक लापरवाही के दोषी पाए जाएंगे उन पर सख्त कार्रवाई होगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क किनारे अगर क्रैश बैरियर होते तो वाहन को खाई में गिरने से काफी हद तक रोका जा सकता था।
परिवहन विभाग के दो आरटीओ अधिकारियों के निलंबन के बाद अब अगली गाज लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर गिर सकती है। 5 नवंबर को मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग अल्मोड़ा ने मर्चुला मोटर मार्ग की जांच की। इसमें इस जांच रिपोर्ट में साफ लिखा है कि दुर्घटना स्थल हेयर पिन बैंड पर घटित हुई मार्ग में कोई पोट होल निर्मित नहीं है जबकि दुर्घटना स्थल से लगभग 25 से 30 मीटर पहले मार्ग की ऊपरी सतह में भूस्खलन हो रहा है। इसके बावजूद इसका मरम्मत का कार्य नहीं किया गया। इस मार्ग के लोअर आर्म के बाहरी भाग पर दो-तीन ड्रम गढ्ढे पाए गए तथा पैराफिट और क्रैश बैरियर दोनों ही नहीं थे।

 बजट होने के बावजूद चहेते ठेकेदार का इंतजार ले डूबा बस को

सड़क सुरक्षा के अंतर्गत इस मार्ग की स्वीकृति फाइल संख्या 56 385 दिनांक 15 मार्च 2024 द्वारा 14 करोड़ 14 लाख 25 हजार रुपए की गई थी पहले निविदा 23 फरवरी 2024 को की गई थी परन्तु 16 मार्च को आचार संहिता लगने के कारण इस निविदा पर कार्रवाई नहीं की गयी। दूसरी बार निविदा 7 जून 2024 को आमंत्रित की गई जिसे समिति द्वारा 12 सितंबर 2024 को निरस्त कर दिया गया। फिर से तीसरी निविदा 13 सितंबर 2024 को आमंत्रित की गई जिसकी निविदा 18 अक्टूबर को प्राप्त हुई थी इसके निस्तारण की कार्यवाही अभी तक पूरी नहीं हुई है। यदि यह लापरवाही के साथ ही इस कार्य में देरी नहीं होती तो शायद इतनी भीषण आपदा से बचा जा सकता था।

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पहले भी इस मोटर मार्ग को मजबूत करने की जरूरत बताई गई थी। अप्रैल 2024 में इसका सर्वे करा कर ओवरले भी डिजाइन हुआ था परन्तु इसका कार्य भी अभी तक लंबित है। यह जांच रिपोर्ट मुख्य अभियंता स्तर दो लोक निर्माण विभाग अल्मोड़ा के राजेंद्र सिंह ने तैयार की है। सड़क की असल बदहाली भले ही मर्चुला के बाद नजर आती हो लेकिन सल्ट से ही जगह-जगह सड़क का डामर
उखड़ा हुआ है। कई जगह तो दो-तीन फीट तक के गड्ढे भी हैं। अगर इन गड्ढों में टायर चला जाए तो छोटे वाहनों का पलटना तय है। बहुत संकरी इस सड़क के एक तरफ डेढ़ सौ मीटर गहरी खाई मौत बनकर खड़ी रहती है। ऐसी जानलेवा जगह पर क्रैश बैरियर तथा पैराफिट ना होना अपने आप में गंभीर लापरवाही है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने भी कहा है कि यह हादसा सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है यशपाल आर्या ने कहा कि यदि सड़क किनारे पैराफिट या क्रैश बैरियर होते तो शायद यह हादसा नहीं होता। यशपाल आर्या ने इस हादसे के लिए सीधे-सीधे बदहाल सड़क और लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदार माना है। मर्चुला से लेकर पौड़ी के पहले तक 20 किलोमीटर की सड़क सिर्फ ढाई से तीन मीटर की चौड़ी है।

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यहां तक कि इस सड़क पर पुल भी महज 4 मीटर चौड़ाई के ही है। जाहिर सी बात है कि तीव्र मोड़ पर बने पुलों के आगे भी मलवे का ढेर लगा रहता है जो हर वक्त हादसे को दावत देता है। लोक निर्माण विभाग ने इसे हटाने की भी जहमत नहीं उठाई। इस मामले में पुलिस ने भी मुकदमा दर्ज कर दिया है हालांकि अभी किसी को नाम जज नहीं किया गया है लेकिन जिस तरीके से मुख्यमत्री और विपक्ष के तेवर सख्त हैं उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले समय में परिवहन विभाग के अधिकारियों के बाद अब लोक निर्माण विभाग के कुछ अधिकारियों के सर पर भी तलवार लटक सकती है।

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