उतराखंड में मानसून के आगमन ने बढ़ाई सरकार की चिंता, जोशीमठ में और बिगड़ सकते हैं हालात।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि चमोली

चमोली/ 25 जून से राज्य में संभावित मानसून के बाद जोशीमठ के लिए खतरे की आशंका है। यह बरसात जोशीमठ के साथ सरकार की भी परीक्षा लेगी। फिलहाल जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति स्थिर है। परन्तु आने वाले दिनों में हालात कैसे होंगे इसे लेकर अभी से कई तरह की आशंकाएं लोगों के मन में उठने लगी हैं।

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जोशीमठ को लेकर आशंकाएं जताई जा रही है कि मानसून में कहीं भू-धंसाव के बाद बनी दरारें गहरा तो नहीं जाएंगी। पानी के नए स्रोत भी फूट सकते हैं। शासन प्रशासन भी इंतजार करो और देखो की स्थिति में है। राज्य में पांच दिन बाद प्रवेश करने वाले मानसून को लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगों के साथ ही शासन-प्रशासन के लोग भी चिंतित हैं।

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विशेषज्ञों ने जोशीमठ में और भूगर्भीय अस्थिरता की आशंका जताई है जहां अब तक 868 भवनों में दरारें आ गई हैं और 181 को असुरक्षित घोषित किया गया है। 502 प्रभावित परिवारों में लगभग 437 को मुआवजा बांटा जा चुका है जबकि 65 परिवार अभी भी प्रशासन की ओर से अलग-अलग होटलों व धर्मशालाओं में ठहराए गए हैं।

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जोशीमठ भू-धंसाव के बाद वैज्ञानिक संस्थाएं अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप चुकी हैं। इन रिपोर्ट पर कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। शासन के सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में जोशीमठ भू-धंसाव की स्थिति लगभग स्पष्ट हो चुकी है। परन्तु यहां भी बात मानसून पर अटकी हुई है। मानसून की बारिश जोशीमठ पर क्या असर डालेगी सरकार को भी इस बात का इंतजार है। इसके बाद ही जोशीमठ के संबंध में सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा।

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चमोली जनपद का एक बड़ा हिस्सा बाहरी हिमालय की दक्षिणी ढलानों पर स्थित है। मानसून के दौरान जल धाराएं खाई वाली घाटियों के माध्यम से प्रवेश करती हैं। यहां जून से सितंबर के बीच मानसून अपने उफान पर होता है। मानसून के बीच लगातार होने वाली बारिश जोशीमठ में दरारें बढ़ा सकती है। राज्य में औसत 1162.7 मिमी की बारिश होती है जबकि चमोली में औसतन 1230.8 मिमी वार्षिक बारिश होती है। पिछले साल के मानसून के बीच जब राज्य में 1128.0 मिमी बारिश (जून-सितंबर) हुई थी उस वक्त चमोली राज्य के 13 जनपदो में से दो जिलों में से एक था जहां सबसे ज्यादा बरसात हुई थी। चमोली में 1196.4 मिमी बारिश दर्ज की गई।

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जोशीमठ भूधंसाव के साथ ही शासन के निर्देश पर सिंचाई विभाग ने जोशीमठ की जड़ में रिटेनिंग वॉल बनाने के लिए लगभग 200 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की थी। इसके साथ शहर में पानी की निकासी के लिए छह नालों का निर्माण किया जाना था। जिसके लिए लगभग 75 करोड़ रुपये की डीपीआर शासन को सौंपी गई थी। परन्तु फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट के बाद शासन स्तर पर जो भी निर्णय लिया जाएगा उसी के मुताबिक इस दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।

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