रुद्रप्रयाग/ बदरीनाथ के सबक के बाद केदारनाथ में पार्टी की नर्सरी से बाहर के चेहरे पर दांव लगाने का जोखिम पार्टी उठाएगी इस बात की कम ही संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा कि पार्टी ऐसे चेहरे पर दांव लगाएगी जिसके लिए पार्टी कैडर का भरपूर समर्थन हो।
केदारनाथ सीट से दो बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव हार चुके कुलदीप सिंह रावत के तेवरों से भाजपा में बेचैनी है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो चुके कुलदीप उपचुनाव में टिकट न मिलने पर बड़ा कदम उठा सकते हैं।सोशल मीडिया पर चल रहे उनके इंटरव्यू तो यही संकेत दे रहे हैं। हालांकि वह खुलकर कुछ कहने से बच रहे हैं परन्तु उनकी इस बात ने भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों की चिंता बढ़ा दी कि वह अपने समर्थकों के हिसाब से निर्णय लेंगे। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें मनाने की कोशिशें भी की जा रही हैं।
खुद कुलदीप सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि उनसे पार्टी नेताओं ने बात की है उन्हें राज्यमंत्री और मंत्री स्तर के पद की पेशकश तक की गई है। भाजपा ने प्रत्याशी चयन के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड को जो छह नाम भेजे हैं उनमें कुलदीप सिंह रावत का नाम भी शामिल है। लेकिन बदरीनाथ के सबक के बाद केदारनाथ में पार्टी की नर्सरी से बाहर के चेहरे पर दांव लगाने का जोखिम पार्टी उठाएगी इस बात की कम ही संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा कि पार्टी ऐसे चेहरे पर दांव लगाएगी जिसके लिए पार्टी कैडर का भरपूर समर्थन हो कुलदीप समर्थक इसे लेकर बेहद आशंकित है।
हालांकि कुलदीप टिकट को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं लेकिन मिलने और न मिलने दोनों ही स्थितियों में अगला कदम उठाने की रणनीति है। सोशल मीडिया में जिस तरह से वह अपने समर्थकों की बात को तरजीह देने की बात कह रहे हैं उसने भाजपा के रणनीतिकारों के माथे पर बल डाल दिए हैं। सोशल मीडिया पर एक इंटरव्यू के दौरान कुलदीप यह कहते नजर आए कि मेरा कार्यकर्ता मुझे जो कहेगा मैं वहीं करूंगा। निर्णय मेरे कार्यकर्ता लेंगे।