देहरादून/ राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसों के परमिट देने के विरोध में और कर्मचारियों से जुड़ी मांगों को लेकर उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। भले ही सरकार की ओर से परिवहन निगम में हड़ताल पर एस्मा लगा हुआ हो परन्तु कर्मचारियों का आरोप है कि एस्मा की आड़ में परिवहन निगम को समाप्त कर इसका निजीकरण करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
निगम कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे ने इस मामले में शनिवार को बैठक बुलाई है जिसमें आंदोलन की रणनीति पर मंथन किया जाएगा। राज्य सरकार और परिवहन निगम प्रबंधन के विरुद्ध चार कर्मचारी संगठनों रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन, उत्तराखंड रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन और परिवहन निगम कर्मचारी एससी-एसटी श्रमिक संघ ने पिछले वर्ष उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का गठन किया था।
मोर्चे ने पिछले वर्ष जनवरी, अप्रैल व सितंबर में प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी भी दी थी लेकिन सरकार ने कर्मचारियों को किसी तरह मना लिया। संयुक्त मोर्चा के मुताबिक कर्मचारियों की कई मांगें मानी जा चुकी हैं और नई बसों की खरीद की प्रक्रिया चल रही है लेकिन कई मांगों पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है।
आरोप है कि परिवहन निगम के लिए आरक्षित राष्ट्रीयकृत मार्गों पर एक बार फिर निजी बसों के परमिट देने की तैयारी की जा रही जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे। मोर्चा संयोजक रविनंदन ने बताया कि सरकार व प्रबंधन परिवहन निगम कर्मचारियों की समस्या व मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। हर बार छल कर कर्मचारियों से समझौता कर लिया जाता है।लेकिन अब कर्मचारी झांसे में नहीं आएंगे। इसी संबंध में रणनीति बनाने को लेकर शनिवार को आइएसबीटी पर संयुक्त मोर्चा की बैठक बुलाई गई है।