द्वाराहाट/ विकासखण्ड द्वाराहाट स्थिति दूनागिरी मंदिर में अष्टमी के दिन प्रातः काल से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरु हो गई। लोगों ने बहुत ही शांति और धैर्य के साथ माता रानी के दर्शन किए। द्वाराहाट से लगभग 14 किमी दूर दूनागिरी पर्वत पर माता की वैष्णो शक्ति पीठ स्थापित है, जहां पर यूं तो पूरे वर्ष भक्त आते हैं लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रों में यहां देखते ही बनता है। स्थानीय ही नहीं बल्कि देश विदेश से भक्त यहां पहुंचते हैं।
जब द्वापर युग में भगवान राम के अनुज लक्ष्मण को मेघनाद के साथ युद्ध करते वक्त शक्ति लगी थी। ऐसे में लंका के सुशेन वैद्य ने संजीवनी लाने की बात कही जोकि हिमालय के तलहटी पहाड़ों पर पाई जाती थी। हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए तो पहचान नहीं पाए और पूरा पहाड़ ही उठा लिया। माना जाता है कि उस वक्त
भरतकोट पर्वत पर भरत तपस्या कर रहे थे
और उन्होंने देखा कि कोई पूरा पहाड़ लेकर उड़ रहा है उन्हें लगा कि कहीं ये भगवान श्री राम का शत्रु तो नही इसलिए हनुमान पर बाण चला दिया। बाण लगते ही हनुमान एक पल को हिले जिससे पर्वत का एक टुकड़ा यहां पर गिर गया। जिसके चलते इस स्थान का नाम दूनागिरी पड़ा। इस स्थान पर आज भी कई कीमती औषधि पाई जाती है। कहा जाता है कि संजीवनी भी यहां पायी जाती है आवश्यकता पहचान करने की है।