देहरादून/ 25 मार्च को उत्तराखंड की राजनीति में अचानक हलचल तेज हो गई है जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 23 मार्च को अपनी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर देहरादून के परेड ग्राउंड में शक्ति प्रदर्शन किया जहां पार्टी के कई बड़े नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे
वहीं दुसरी ओर ठीक उसी दिन दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक खास भोज का आयोजन किया जिसमें कई प्रभावशाली चेहरे शामिल हुए इस घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में नए सियासी संकेत दिए हैं।
धामी सरकार का शक्ति प्रदर्शन 2024 की चुनावी रणनीति?
मुख्यमंत्री धामी ने अपने तीन साल के कार्यकाल को भव्य तरीके से मनाने के लिए परेड ग्राउंड में एक विशाल सभा का आयोजन किया
इस बीच उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और विकास कार्यों को जनता के सामने रखा। बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की इस बड़े स्तर पर मौजूदगी को आगामी चुनावों के लिए सरकार की शक्ति प्रदर्शन और भविष्य की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
दिल्ली में त्रिवेंद्र का भोज सिर्फ एक आयोजन या राजनीतिक संदेश?
दिल्ली में त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा आयोजित उत्तराखंडी भोज ने राजनीतिक हलकों में नई अटकलों को जन्म दिया है। इस आयोजन में सांसद अनिल बलूनी, एनएसए अजीत डोभाल,
सीडीएस जनरल अनिल चौहान, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार और उत्तराखंड के कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शामिल हुए। भोज की इस खास मेहमान सूची को देखकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह सिर्फ एक सामाजिक आयोजन था या इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति छिपी थी।
अपने दिल्ली स्थित शासकीय आवास पर उत्तराखंड से जुड़े प्रशासनिक एवं सैन्य अधिकारियों के लिए उत्तराखंडी भोज आयोजित करने का अवसर मिला। इस अवसर पर उपस्थित पौड़ी सांसद अनिल बलूनी जी, एनएसए अजीत डोभाल जी, सीडीएस जनरल अनिल चौहान जी, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह एवं अन्य गणमान्य अधिकारियों, उनके परिजनों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।
मंत्रिमंडल विस्तार और प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर असरराजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक उत्तराखंड में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति होने वाली है।
ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत का अचानक सुर्खियों में आना और इस आयोजन के जरिए कई प्रभावशाली लोगों को एक मंच पर लाना महज संयोग नहीं माना जा रहा। क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी राजनीतिक सक्रियता फिर से बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
संयोग या सियासी रणनीति।
त्रिवेंद्र रावत का भोज और धामी सरकार की तीसरी वर्षगांठ एक ही दिन पड़ना क्या महज एक इत्तेफाक था या फिर इसके पीछे कोई गहरी सियासी रणनीति थी इस सवाल पर अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
उत्तराखंड की राजनीति में इस भोज के बाद नए समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं। आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम के असर को लेकर और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।