देहरादून/ देवभूमि में भू-कानून का दुरुपयोग करना भारी पड़ेगा कानून का उल्लंघन करने वालों पर शिकंजा कसने में हीलाहवाली नहीं हो पाएगी। नए भू-कानून में ऐसे कड़े प्रविधान किए जा रहे हैं। वर्तमान भू-कानून में संशोधन करके संबंधित विधेयक को अंतिम रूप दिया जा रहा है।भू-कानून को कड़ा बनाने की मांग को लेकर राज्य में चल रहे जन आंदोलन और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के तेवरों को देखते हुए सरकार इस मामले में सतर्कता बरत रही है।
18 फरवरी से प्रारंभ हो रहे विधानसभा के बजट सत्र से ठीक पहले संशोधित विधेयक को कैबिनेट की स्वीकृति के साथ सदन के पटल पर रखने की तैयारी है।
प्रदेश में अब तक कई कड़े कानून लागू कर चुके हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री प्रदेश में अब तक कई कड़े कानून लागू कर चुके हैं। उन्होंने भू-कानून के लचीले प्रविधानों के चलते भूमि की खरीद-फरोख्त में हो रही गड़बड़ी रोकने के लिए नए भू-कानून के विधेयक को बजट सत्र में लाने की घोषणा की थी। इस घोषणा को क्रियान्वित करने में सरकार सावधानी से कदम बढ़ा रही है।
वर्तमान भू-कानून के परीक्षण और अध्ययन के लिए पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने अलग-अलग स्तर पर उसका परीक्षण कराया है। समिति ने भी भू-कानून के लचीले प्रविधानों को कड़ा बनाने की संस्तुति की है।
मांगे गए थे सुझाव
नए भू-कानून को लेकर राज्य में तहसील स्तर पर आमजन, प्रबुद्धजन एवं विभिन्न संस्थाओं से सुझाव प्राप्त किए गए हैं। इन सुझावों के आधार पर नए कानून की रूपरेखा निर्धारित की है।
यद्यपि भू-कानून के प्रविधानों को कड़ा बनाते हुए यह ध्यान भी रखा जाएगा कि उद्योगों और नए निवेशकों में भय का वातावरण न रहे। विगत दिवस हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भू-कानून से संबंधित विषय पर चर्चा नहीं हुई। अब विधानसभा सत्र प्रारंभ होने पर संशोधित भू-कानून के विधेयक को सदन के पटल पर रखने की तैयारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस प्रकरण पर स्वयं नजर बनाए हुए हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कड़े प्रविधानों के साथ भू-कानून विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल की अगली बैठक में स्वीकृति मिल सकती है।