नैनीताल/ उतराखंड उच्च न्यायालय ने केदारनाथ यात्रा ट्रैक पर सफाई मामले पूर्व में पारित आदेश की अवहेलना करने पर जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को अवमानना का नोटिस भेजा है। इसे जनता से जुड़ा मुद्दा बताते हुए पूरा विवरण कोर्ट के समक्ष पेश करने के भी निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी सौरभ गहरवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया।
अदालत ने कहा कि यह मामला सार्वजनिक महत्व से जुड़ा है। इस मसले पर जरूरत पड़ने पर अदालत किसी आयुक्त को निरीक्षण और तंत्र की जांच के लिए नियुक्त करने पर विचार कर सकती है।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता गौरी मौलखी ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि 2013 में केदारनाथ यात्रा के संबंध में जनहित याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने 10 मई 2013 को साफ सफाई के संबंध में कई दिशा निर्देश जारी किए थे
परन्तु उनका पालन नहीं किया गया। केदारनाथ यात्रा का प्रबंधन जिला मजिस्ट्रेट ने जिला पंचायत से अपने पास इसलिए ले लिया था क्योंकि जिला पंचायत घोड़ों-खच्चरों के कारण ट्रैक पर स्वच्छता के रखरखाव के संबंध में इसका ठीक से पालन नहीं कर पा रही है। यात्रा मार्ग पर 14 हजार घोड़े, खच्चरों का गोबर, मूत्र और पशुओं के शवों को ट्रैक पर ही छोड़ दिया जाता है।
इससे देश और दुनियाभर से यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में 10 मई 2013 को हाईकोर्ट ने यात्रा मार्ग की स्वच्छता संबंधी आदेश जारी किया था। जिसका पालन नहीं किया गया। गौरी मौलेखी की ओर से इस प्रकरण में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
न्यायालय ने कहा यह बताया जाए कि 10 मई 2013 के आदेश के पालन के लिए क्या कदम उठाए गए मार्ग के साथ-साथ केदारनाथ शहर में भी साफ-सफाई की नियमित जांच के लिए क्या तंत्र स्थापित किए गए क्या सफाई शारीरिक श्रम से की या कुछ यांत्रिक उपकरण लगाए गए हैं इन पर आने वाले खर्चों को कौन वहन कर रहा है वर्तमान यात्रा सीजन में यात्रा मार्ग के साथ केदारनाथ शहर की सफाई में कितनी राशि खर्च की गई राशि का भुगतान किसे और कैसे किया गया।